लखनवी जायका: सिर्फ नॉनवेज ही नहीं यहां का वेज भी है लाजवाब
लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाब, इदरीस की बिरयानी, बाजपेयी की चाट, प्रकाश की कुर्फी... सिर्फ प्रदेश ही नहीं देश और विदेश में भी चर्चित है। यहां का नॉनवेज जितना फेमस है, उतने ही वेज में व्यंजन भी आपको यहां मिल जाएंगे।
लखनऊ, एबीपी गंगा। अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो समझ लीजिए लखनऊ आप के लिए जन्नत है। यहां के नॉनवेज में आपको नवाबी महक मिलेगी, तो वेज को देखने भर से ही मुंह में पानी आ जाएगा। लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाब, इदरीस की बिरयानी, बाजपेयी की चाट, प्रकाश की कुर्फी... सिर्फ प्रदेश ही नहीं देश और विदेश में भी मशहूर हैं। यहां का नॉनवेज जितना फेमस है, उतने ही वेज के व्यंजन भी आपको यहां मिल जाएंगे। ये तो पक्की बात है कि इसे खाकर आप उंगलियां तो पक्का चाटते रह जाएंगे। तो आपकी भूख को ज्यादा न बढ़ाते हुए हम आपको स्वाद-ए-लखनऊ की गलियां घूमाते हैं।
टुंडे कबाबी की दुकान
लखनऊ के कूजीन का जिक्र है और टुंडे कबाबी की शॉप का नाम न लिया जाए ऐसा भला कैसे हो सकता है। नॉनवेज प्रेमी जब भी लखनऊ आते हैं, तो पूछते-पूछाते टुंडे कबाबी की दुकान पर पहुंच ही जाते हैं। चौक बाजार पर स्थित टुंडे कबाबी की दुकान की शुरुआत 1905 में हाजी मुराद ने की थी।
हालांकि, टुंडे कबाब का किस्सा तो इससे भी एक सदी पुराना है। कहानी कुछ ऐसी है कि 100 साल पहले जो नवाब साहब थे, वो नॉनवेज के बहुत शौकीन थे। लेकिन उम्र के साथ मुंह में दांत न होने की वजह से वो नॉनवेज का लुत्फ नहीं उठा पाते थे। तब उन्होंने फरमान सुनाया कि भाई मुझे ऐसे कबाब खाने हैं जो मुंह में जाते ही पिघल जाएं और मुझे चबाना भी न पड़े। मुंह में पिघल जाने वाला कबाब बनाने वाले का केवल एक ही हाथ काम करता था, इस कारण इसका नाम पड़ गया टुंडे कबाब। इसे बनाने में लगभग 100 तरीकों के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर हम टुंडे कबाब के दाम की बात करें तो मात्र 70 रुपये में आप टुंडे कबाब पराठे खा सकते हैं। यहां का टंगड़ी कबाब भी बेहद स्वादिष्ट है। तो अगर आप हैं नॉनवेज के शौकीन तो टुंडे कबाबी जाना न भूलें।
मुबीन्स रेस्तरां
टुंडे कबाबी के बाद अब हम आपको लेकर आए हैं मुबीन्स रेस्तरां, जो कि अकबरी गेट पर है। यहां आपको मुगलई खाने का authentic taste मिलेगा। मूबीन की निहारी (निहारी कुलचा) आखिर क्यों है खास, ये हम आपको आज बताएंगे।
निहारी की खास बात ये है कि ये जितना गरम और जितना क्रिस्पी होगा, उतना ही ज्यादा स्वादिष्ट लगेगा। आपको जानकर हैरानी होगी, इसे बनाने के लिए बाजार से खरीदे गए मसालों का इस्तेमाल नहीं होता, बल्कि जो इनके दादा जी मसाले बनाते थे, उन्हीं मसालों का आजतक इस्तेमाल होता आ रहा है। यहां का पसिंदा (कबाब) भी खाने लोग दूर-दूर से आते हैं। दरअसल, पसिंदा गोस्त होता है, जिसे बहुत देर तक मैरिनेट किया जाता है। मैरिनेट करने के बाद इसे भूना जाता है। इसे एक खास तरह की रोटी के साथ सर्व करते हैं, जो कि पीले रंग की होती है। ये रोटी मैदे की होती है जिसे दूध में गूदा जाता है।
इदरीस की बिरयानी
नवाबों की नगरी से बिरयानी का स्वाद लिए बिना आखिर कोई कैसे रुखरत ले सकता है। अगर बिरयानी खानी है, तो इदरीस की बिरयानी से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। इदरीस की बिरयानी बनाने का तरीका भी बेहद जुदा है। इसे आग पर नहीं बल्कि कोयले की आंच पर बनाया जाता है। 55 मसालों का इस्तेमाल कर ये नॉनवेज बिरयानी तैयार होती है। तो अगर आपको भी इदरीस की बिरयानी खाने को देखकर खाने का मन कर रहा है, तो तुरंत दौड़ जाइए चौक की ओर....
पाया की निहारी
पाया की निहारी बनाने में करीब 6-7 घंटे लग जाते हैं। नॉनवेज खाने के शौकीन लोगों की पसंदीदा डिश में से एक मानी जाती है पाया की निहारी। इस ज्यादातर लोग कुल्चे या फिर रुमाली रोटी के साथ खाना पंसद करते हैं।
नारायण वेज
लखनऊ सिर्फ नॉनवेज के लिए ही मशूहर नहीं है, बल्कि यहां का वेज भी आपको निराश नहीं करेगा। यहां के नॉनवेज कबाब ही नहीं वेज कबाब भी खूब पंसद किए जाते हैं। लखनऊ में आपको नारायण वेज नाम से एक 10 साल पुरानी दुकान मिलेगी, जहां आप मात्र 15 रुपये में वेज कबाब का स्वाद चख सकते हो। चना और मसूर की दाल को मिक्स करके, उसके कई प्रकार के मसालों का इस्तेमाल करके ये वेज कबाब तैयार होता है।
बॉम्बे पाव भाजी
अगर खाने का मन हो पाव भाजी, तो तुरंत पहुंच जाइए बॉम्बे पाव भाजी वाले के पास। हजरतगंज के सेंट फ्रांसिस स्कूल के पास आपको दूर से जहां खाते-पीते लोगों की भीड़ नजर आ जाए, तो समझ लीजिएगा की यहीं है बॉम्बे पाव भाजी की दुकान। बॉम्बे पाव भाजी की सबसे खास बात ये है कि इसे मक्सन से तला जाता है। मात्र 100 रुपये पर प्लेट में आपको मक्खन मारके बॉम्बे पाव भाजी का स्वाद लखनऊ में मिलेगा।
राजा ठंडाई
इतना कुछ खा लिया है, तो अब कुछ पीना भी बनता है। चौक की मशूहर राजा की ठंडाई....ये दुकान करीब 80 साल पुरानी है। इस दुकान का उद्घाटन खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। राजा ठंडाई की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं, जब भी कोई सेलिब्रिटी लखनऊ में होता है, तो यहां जरूर ठंडाई का आनंद लेने पहुंच जाता है।
सबसे खास बात ये है कि इस ठंडाई को केवल पीते नहीं है, बल्कि चबाते भी हैं। क्योंकि इस ठंडाई में आपको बदाम, पिस्सा, काजू और बहुत कुछ मिलेगा...तो पीते जाएं और चबाते जाएं और ठंडाई का लुत्फ उठाते जाएं।
बाजपेई की कचौड़ी
और भाई चटोरों अब हम आपको बाजपेई की कचौड़ी खिलाने लेकर आ गए हैं। ये दुकान लीला सिनेमा के पास है। खुद अटल बिहारी वाजपेयी और कई नामचीन फिल्मी हस्तियां भी बाजपेई की कचौड़ी खा चुके हैं। यहां की कचौड़ियां सस्ती ही नहीं बल्कि स्वादिष्ट भी है, जिसे खाने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं।
प्रकाश कुल्फी
अब हम आपको लेकर आ गए हैं, लखनऊ की सबसे बिजी मार्केट अमीनाबाद में। जहां आपको मिलेगी प्रकाश की मशहूर कुल्फी खाने को। यहां कुल्फी विद फलूदा आपको सर्व किया जाता है। प्रकाश की कुल्फी बनाने में 7-8 घंटे तक का समय लग जाता है। यह खास तरह की फालूदा कुल्फी क्रीम दूध, पिस्ता, काजू, कार्न फ्लोर और केसर के मिश्रण से बनाई जाती है। प्रकाश कुल्फी की दुकान की स्थापना 1956 में हुई थी। ग्राहकों की बढ़ती डिमांड के चलते प्रकाश कुल्फी की एक ब्रांच गोमतीनगर में भी खुल गई है।
शुक्ला चाट हाउस/जैन चाट
ऐसा कोई नहीं होगा, जिसे चाट न पसंद हो। तो इसके लिए शुक्ला चाट हाउस से बेहतर कोई ऑप्शन नहीं हो सकता। शुक्ला चाट का लुत्फ लेने के लिए जाना होगा लखनऊ के दिल कहे जाने वाले हजरतगंज में। यहां दूर-दूर से लोग टिक्की खाने आते हैं।
वहीं, नॉवेल्टी के पास स्थित जैन चाट भी लोगों को खूब पंसद आती है। यहां के दही बड़े और चाट दोनों फेमस हैं। 40 रुपये में एक प्लेट दाम पर आपको इसका आनंद ले सकते हैं।
शर्मा की चाय
अब थोड़ी चाय-शाय हो जाए। लखनऊ में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे शर्मा की चाय का पता न हो। लखनऊ के लाल बाग में आपको मिलेगी शर्मा की चाय। यहां चाय के साथ आपको बन-मक्खन और समोसा खाने वालों की भीड़ हमेशा नजर आएगी। शर्मा जी की चाय की खास बात ये है कि एक बार जिसने यहां की चाय की चुस्की ले ली, तो वो बार-बार यहां दौड़ा चला आता है।