Varanasi News: मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का काशी विश्वनाथ धाम में होगा भव्य स्वागत, सीएम योगी 15 नवंबर को करेंगे स्थापना
Statue of Mata Annapurna: करीब नौ साल पहले चोरी हुई माता अन्नपूर्णा की को फिर से बनारस लाया जा रहा है. बता दें कि चोरी हुई माता की ये प्रतिमा कनाडा में मिली थी.
Statue of Mata Annapurna: काशी विश्वनाथ धाम में एक बार फिर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना होने वाली हैं. इसके लिए काशीनाथ धाम में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. माता की मूर्ति के साथ-साथ स्थापना से पहले पूरे काशी विश्वनाथ धाम को भव्य तरीके से सजाया जाएगा. और मूर्ति के मंदिर में पहुंचने से पहले कई जगहों पर इसकी पूजा-अर्चना भी की जाएगी. वहीं काशीनाथ धाम में प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोग भी माता के स्वागत की तैयारियों में अपना सहयोग दे रहे हैं.
15 नवंबर को सीएम योगी करेंगे स्थापना
आपको बता दें कि माता की ये मूर्ति करीब नौ साल पहले बनारस से चोरी हुई थी. जोकि कनाडा में मिली है. अब इस मूर्ति को वापस लाया जा रहा है. और ये प्रतिमा 14 नवंबर तक काशीनाथ धाम में पहुंचेगी. लेकिन यहां पहुंचने से पहले मां अन्नपूर्णा की ये भव्य और प्राचीन मूर्ति काशीनाथ धाम के पास ही ईशान कोण में विराजमान की जाएगी. और राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को एकादशी के अवसर पर इस मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करेंगे.
11 नवंबर को दिल्ली से शुरू होगी यात्रा
आपको बता दें कि माता की ये मूर्ति नई दिल्ली से 11 नवंबर को एक सुसज्जित वाहन पर काशी के लिए रवाना की जाएगी. जोकि अयोध्या समेत कई रास्तों से होते हुए 14 नवंबर की रात को काशी पहुंचेगी. साथ ही ये भी बता दें कि माता की 18वीं शताब्दी की इस भव्य मूर्ति की 4 दिवसीय यात्रा भी आयोजित की जाने वाली है.
यूपी के कई शहरों से गुजरेगी यात्रा
माता की मूर्ति की ये यात्रा नई दिल्ली से शुरू होगी और फिर गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और हाथरस से होकर गुजरेगी और कासगंज के सोरों में रात्रि विश्राम करेगी. इसके बाद ये यात्रा एटा, मैनपुरी, कन्नौज से होते हुए कानपुर के तपेश्वरी देवी मंदिर में रात में रुकेगी. फिर उन्नाव, लखनऊ और बाराबंकी से होते हुए अयोध्या पहुंचेगी. अयोध्या में रात को रूकने के बाद सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर से होकर 14 नवंबर को वाराणसी पहुंचेगी.
भारतीय मूल की आर्टिस्ट ने की मूर्ति की पहचान
आपको जानकर हैरानी होगी कि, नौ साल पहले चोरी हुई ये मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी में यूनिवर्सिटी आफ रेजिना के संग्रह का हिस्सा थी. जिसे पिछले साल वर्ल्ड हेरिटेज वीक में एक भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने पहचाना. और फिर कनाडा ने पौराणिक महत्व की ये प्रतिमा भारत को सौंप दी थी.
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