रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट आज सुबह पौराणिक परम्पराओं के अनुसार प्रातः 7 बजकर 30 मिनट पर वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए हैं. कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिये रवाना हो गई है. 22 नवम्बर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी.


अब यहां पर छह माह के लिये भगवान मदमहेश्वर की पूजा-अर्चना शुरू होगी. डोली पहुंचने पर ऊखीमठ में मेले का आयोजन किया जायेगा. यह मेला पिछले वर्ष तक डोली पहुंचने से एक दिन पहले आयोजित किया जाता था, जो तीन दिनों तक चल चलता था, मगर इस बार कोरोना महामारी के कारण मेले को एक दिवसीय किया गया है.


छह माह के लिये समाधि 


आपको बता दें कि, आज प्रातः सुबह सात बजकर तीस मिनट पर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट बंद किये गये. कपाट बंद होने से पूर्व भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मदमहेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमाएं कीं. इसके अलावा डोली ने धाम में अपने तांबे के बर्तनों का निरीक्षण किया और भक्तों को आशीष दिया. कपाट बंद करने से पूर्व भगवान मदमहेश्वर के स्वयंभू लिंग को अनेक पूजार्थ सामग्री से छह माह के लिये समाधि दी गई. आज भगवान मदमहेश्वर की डोली एवं अन्य देवी-देवताओं के निशाण प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौंडार गांव पहुंचेंगे. 20 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी.


डोली शीतकालीन गद्दी स्थल पहुंचेगी


21 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी तथा 22 नवम्बर को गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर पहुंचेगी. जहां ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान मदमहेश्वर की छह माह तक पूजा-अर्चना की जाएगी.


डोली पहुंचने पर ऊखीमठ में मेले का आयोजन किया जायेगा. यह मेला पिछले वर्ष तक डोली पहुंचने से एक दिन पहले आयोजित किया जाता था, जो तीन दिनों तक चल चलता था, मगर इस बार कोरोना महामारी के कारण मेले को एक दिवसीय किया गया है.