Uttarakhand News: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दायित्व बांटे हैं. जिनमें उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी को बनाया गया है. कासमी इससे पहले 2014 में अन्ना हजारे की टीम में शामिल रहे हैं और अन्ना आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं.


कासमी ने उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का कार्यभार संभालते ही एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि उत्तराखंड के मदरसों में अब बच्चों को वेद और पुराण पढ़ाया जाएगा. ताकि वह सनातन धर्म को समझ सकें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चार धाम के बारे में भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा. 


पतंजलि योगपीठ में मौलवियों को ट्रेनिंग दिलवाएंगे


उन्होंने कहा कि यह धाम केवल हिंदुओं के लिए पूजन्य नहीं है बल्कि मुसलमानों के लिए भी हैं. इसलिए हम इनके बारे में बच्चों को पढ़ाएंगे और मदरसों में योग की शिक्षा भी बच्चों को देंगे. एबीपी लाइव से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मदरसे में सबसे पहले वह खुद जाकर बच्चों को वेद पढ़ाएंगे. उसके बाद वहां के मौलवियों को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में ट्रेनिंग दिलवाएंगे ताकि वहां से वेद और योग की पढ़ाई कर मौलवी मदरसों में जाकर बच्चों को वेद और पुराण की शिक्षा दे सकें. 


पहले हुई थी संस्कृत पढ़ाने की बात


इससे पहले उत्तराखंड वक्त बोर्ड के अध्यक्ष सरदार शम्स ने भी कहा था कि उत्तराखंड के मदरसों में बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाएगी. जिस पर काफी विवाद हुआ था. अब कासमी के इस बयान के बाद विवाद होना लाजमी है. देश के कई उलेमा इसका विरोध करेंगे जैसे पहले संस्कृत पढ़ने का विरोध हो चुका है.


अधिकतर देखा गया है कि मदरसों में बच्चों को इस्लामी शिक्षा दी जाती है. ऐसे में वहां पर वेद पुराण पढ़ाना, संस्कृत पढ़ाना कितना उचित होगा यह देखने वाली बात होगी क्योंकि लगातार ऐसी बातों का विरोध मुस्लिम उलेमा करते रहे हैं. ऐसे में शमून कासमी का यह बयान आग में घी का काम कर सकता है.