मुनीम और सिपाही मर्डर केस में कानूनी फंदे में घिरा मुख्तार अंसारी, ट्रायल आख़िरी दौर में
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी सजा से बचने के लिये हर पैंतरे अपना रहा है. लेकिन इस बार कोर्ट में उसका दांव खाली जा रहा है. मऊ के ठेकेदार की हत्या के मामले में पूर्वांचल का ये माफिया अब बुरी तरह घिर चुका है.
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प्रयागराज: पंजाब की मोगरा जेल में बंद पूर्वांचल का बाहुबली विधायक मुख़्तार अंसारी दस साल पहले हुए डबल मर्डर केस में मुश्किलों में घिर सकता है. प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में इस केस का ट्रायल अब आख़िरी दौर में है. केस में आरोपी मुख्तार अंसारी को अपना पक्ष रखना है. मुख्तार को इस केस में फैसला खिलाफ आने की उम्मीद है, इसीलिये वह पेशी पर प्रयागराज आने के बजाय कभी वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये सुनवाई की मांग करता है तो कभी दूसरे आरोपियों को मोहरा बनाकर गवाहों से दोबारा जिरह करने की इजाज़त मांगता है. कोरोना की वजह से पिछले कुछ दिनों से मामले की सुनवाई लटकी हुई है.
बड़े ठेकेदार को एके 47 से भून दिया था
गौरतलब है कि पूर्वांचल के मऊ जिले में साल 2009 में ए कैटेगरी के बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश प्रकाश सिंह उर्फ़ मन्ना की दिन दहाड़े बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी. हत्या का आरोप बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर लगा था. इस मर्डर केस में मन्ना का मुनीम राम सिंह मौर्य चश्मदीद गवाह था. 56 गवाह होने के चलते राम सिंह मौर्य को सतीश नाम का एक गनर भी दिया गया था. साल भर के अंदर ही आरटीओ आफिस के पास राम सिंह मौर्य और गनर सतीश को भी मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में भी मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था.
मामले को लटका रहा है मुख्तार
इस डबल मर्डर केस का ट्रायल प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहा है. डबल मर्डर में भी कई गवाह है. पेशी से बचने के लिए मुख्तार अंसारी ने दो बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये सुनवाई की अर्जी दाखिल की, लेकिन दोनों ही अर्जी खारिज हो चुकी है. राम सिंह मौर्य के वकील अमित सिंह सोनू के मुताबिक़ मुख्तार को इस केस में सजा मिलने का पूरा अंदेशा है, इसीलिये वह जानबूझकर मामले को लटका रहा है और पेशी पर नहीं आ रहा है. उनके मुताबिक़ इस मामले में अब कोर्ट से दखल देते हुए फैसला सुनाए जाने की अपील की जाएगी. ठेकेदार मन्ना मर्डर केस में मुख़्तार करीब दो साल पहले ही बरी हो चुका है. परिवार वालों और सरकार ने उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
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