(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Khan Mubarak Death: बीच मैच में अंपायर को गोली, सिर पर बोतल रखकर निशाना, जानें- कौन था माफिया खान मुबारक?
Hardoi News: माफिया खान मुबारक मार्च 2020 से जिला कारागार हरदोई में बंद था. जेल में पिछले काफी दिनों से उसकी तबीयत खराब चल रही थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई है.
Khan Mubarak Death: यूपी के हरदोई (Hardoi) में जिला कारागार में बन्द कुख्यात माफिया खान मुबारक की तबीयत बिगड़ने के बाद जिला अस्पताल में मौत हो गई. खान मुबारक अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का शॉर्प शूटर रहा है. इसके अलावा उसका माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, ब्रजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी के साथ भी संबंध रहा है. खान मुबारक उस वक्त सुर्खियों में आ गया था जब उसने क्रिकेट मैच के दौरान अंपायर को गोली मार दी थी. इसके अलावा मुंबई में साल 2006 में काला घोड़ा कांड से भी चर्चा में आया आ गया था.
माफिया खान मुबारक मार्च 2020 से जिला कारागार हरदोई में बंद था. जेल में पिछले काफी दिनों से उसकी तबीयत खराब चल रही थी. कई बार उसे उपचार के लिए डॉक्टरों को दिखाया गया, लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ. जिला कारागार में बंद शार्प शूटर खान मुबारक की मौत के बाद जेल महकमे में हड़कंप मच गया है.
कोड़े से पिटाई, सिर पर बोतल रखकर निशाना
खान मुबारक अंबेडकरनगर जिले के अंडरवर्ल्ड डॉन जफ़र खान का छोटा भाई था. अपने भाई के नक्शे कदम पर चलकर खान मुबारक भी जुर्म की दुनिया में आता चला गया और उसने अपने जिले व क्षेत्र के व्यापारयों से रंगदारी और फिरौती शुरू कर दी. उसके गांव के पड़ोसी गांव मजगवा निवासी बाजू खान ने साल 2015 में एक शादी समारोह में फिरौती को लेकर कमेंट कर दिया था, यह बात खान मुबारक को नागवार गुजरी थी और उसने बाजू खान को अपने घर तलब कर लिया और फिर उसकी कोड़े से पिटाई की थी. इतना ही नहीं उसके सिर पर बोतल रखकर उस पर निशाना भी लगाया था. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और मीडिया की सुर्खियां बनी थी, इस घटना के बाद इसे बोतल डॉन भी कहा जाने लगा था.
हत्या, लूट फिरौती समेत कई मुकदमे दर्ज
खान मुबारक पहली बार साल 2007 में अबू ओसामा शूटआउट केस इलाहबाद में पहली बार सुर्ख़ियो में आया था. जिसके बाद उसने एक ही साल में आधा दर्जन घटनाओं को अंजाम दिया. उस पर कई थानों में हत्या, लूट, फिरौती और गैंगस्टर समेत कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ. अंबेडकर नगर के अलावा इलाहाबाद और मुंबई में भी उन्होंने जरायम की दुनिया में जमीन तलाशना शुरू कर दिया. साल 2012 में उसने टाण्डा तहसील के बहुचर्चित भट्ठा व्यवसाई व ट्रांसपोर्टर एनाउद्दीन की हत्या कर दी. फिर तो फिरौती और हत्या का सिलसिला बढ़ता गया और उस पर एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज होते रहे.
आतंक का दूसरा नाम था खान मुबारक
साल 2015 में टाण्डा कोतवाली क्षेत्र में हुए एक गैंगवार के मामले में खान मुबारक के विरुद्ध पुलिस ने मुकदमा दर्ज़ कर गैंगेस्टर और एनएसए की कार्रवाई की. इसके बाद भी जेल में रहते हुए उसने अपनी जरायम की दुनिया बेखौफ चलाई, जिसका नतीजा था कि एक महीने में उसने बसपा नेता जुरगाम मेंहदी समेत तीन लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियों से हमला करवा दिया, जिसमें ये गंभीर रूप से घायल हो गए. 2018 जुरगाम मेहंदी की उसे हत्या कर दी.
खान मुबारक अंबेडकरनगर के हंसवर थाने के हरसम्हार गांव का रहने वाला था. फरवरी 2015 में खान मुबारक ने ज़मीन पर कब्जे को लेकर कई राउंड फायरिंग करवाई, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन उसका इतना आतंक था कि किसी ने उसके खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं किया. इसलिए टाण्डा कोतवाल की तहरीर पर ही इसके विरुद्ध मुक़दमा दर्ज किया गया, 2018 में खान मुबारक गिरफ्तार होने के बाद से हरदोई जेल में बंद था जिसके बाद अब बीमारी के चलते उसकी मौत हो गई.
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