Abbas Ansari Case: उत्तर प्रदेश (UP) के माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के बेटे अब्बास अंसारी और अन्य को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से फौरी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट का संज्ञान और समन आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने नए सिरे से मजिस्ट्रेट को आदेश जारी करने का निर्देश दिया है. अब्बास अंसारी और दो अन्य के खिलाफ धारा 171एच के तहत अपराध का संज्ञान लेकर मजिस्ट्रेट ने समन जारी किया था. हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया.


साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसीजेएम मऊ को ऑर्डर मिलने से दो हफ्ते में कानून के तहत संज्ञान आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. याची अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने विकुल केस के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट को अलग-अलग धाराओं में दाखिल पुलिस चार्जशीट पर संज्ञान लेते समय नई धारा जोड़ने या घटाने का क्षेत्राधिकार नहीं है. मजिस्ट्रेट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 171एच के तहत संज्ञान लेकर समन जारी किया है, जबकि मऊ कोतवाली में दर्ज एफआईआर की विवेचना कर पुलिस चार्जशीट में धारा 171एफ और 188 का उल्लेख किया गया है.


'दो हफ्ते में आदेश की प्रति अदालत में पेश करें'


याची अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कहा कि जिस धारा में संज्ञान लिया गया है, उसका उल्लेख चार्जशीट में नहीं है, इसलिए संज्ञान और समन आदेश अवैध होने के नाते निरस्त किया जाए. अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत की ओर से रेफर केस लॉ को देखते हुए याचिका का विरोध नहीं है. कोर्ट ने सरकार के रूख और केस पत्रावली पर विचार करते हुए मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेकर जारी समन आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने याची से कहा है कि वह दो हफ्ते में आदेश की प्रति अदालत में पेश करें. उसके बाद मजिस्ट्रेट दो हफ्ते में आदेश पारित करें. अब्बास अंसारी और अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर जस्टिस राजीव मिश्र की सिंंगल बेंच ने आदेश दिया.


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