Magh Mela : हिंदू मंदिरों के पास नदी के किनारे माघ मेला जनवरी/फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है . हर 12 साल में माघ मेला कुंभ मेले में बदल जाता है. लाखों भक्त नदियों के किनारे शिविर लगाते हैं और रोजाना पवित्र स्नान करते हैं, जबकि धार्मिक संगठनों और संप्रदायों ने इस अवधि के दौरान नदी के किनारे अपने शिविर स्थापित किए हैं. यह मेला 2022 में 14 जनवरी से शुरू होगा और 1 मार्च को समाप्त होगा.
हालांकि इस बार गंगा में आयी बाढ़ के चलते मेला क्षेत्र में कटान अधिक हुआ है, गंगा के पश्चिम की ओर बढ़ने के कारण अब प्रयागराज में आगामी माघ मेले के लिए जमीन कम रह गई है. जमीन में आई कमी ने मेला अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया है.
मेला अधिकारी शेष मणि पांडे ने कहा, "नदी की धारा काफी मजबूत है और हमारे विशेषज्ञ कटाव को कम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. हम धाराओं पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं. "
बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हम दो टोकरे बनाते है और एक के पीछे एक रख देते है और दोनों को मजबूत रस्सियों से बांध दिया जाता है. ये रेत के बोरों से भरे हुए होते हैं. यह एक हद तक कटाव को रोकते है. बीते सालों की तुलना में इस साल नदी में जलस्तर में वृद्धि एक बड़ी समस्या है. जो कटाव को एक बड़ी समस्या बन रही है.
महंत हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा, "मेला अधिकारियों के लिए नदी की धाराओं को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो गया है और गंगा को अपनी धारा की मजबूत और अप्रत्याशित दिशा के लिए जाना जाता है, इसलिए स्वच्छ गंगा के लिए चुनौती का सामना करने के लिए निरंतर प्रयास करने की जरूरत है. "