प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। धर्म नगरी प्रयागराज के संगम तट पर हर साल लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े सालाना धार्मिक आयोजन 'माघ मेला' आज यानि 10 जनवरी से पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हो रहा है। आज से ही संगम की रेती पर एक महीने तक चलने वाले कल्पवास की भी शुरुआत हो जाएगी। मेले के लिए संगम की रेती पर अलग से तम्बुओं का शहर बसाया गया है, साथ ही इस बार सुरक्षा के बेहद खास इंतजाम भी किये गए हैं।


करीब दो हजार बीघे में बसे माघ मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का अलग शहर बसाया गया है। यहां लोहे की सड़कें बनाई गई हैं तो पीपे के पांच पांटून पुल। दूसरे शहरों की तरह यहां सभी सरकारी विभागों के दफ्तर खोले गए हैं। मेले में 13 पुलिस स्टेशन और 38 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। पुलों, स्नान घाटों और एंट्री प्वाइंट समेत सभी प्रमुख जगहों की सुरक्षा इस बार भी पैरा मिलिट्री फोर्स के जिम्मे रहेगी।



माघ मेले में हवाई निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा। पांच सेक्टरों में बंटे माघ मेले में व्यवस्था और सुरक्षा के लिए 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी और जवान लगाए गए हैं। हालांकि इस बार मेले की तैयारियों में काफी लापरवाही देखने को मिल रही है, फिर भी अफसरों का दावा है कि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं श्रद्धालु भी सुविधाओं और बदइंतजामियों की अनदेखी करते हुए सिर्फ और सिर्फ पुण्य कमाने में ही लगे हुए हैं।


पौष पूर्णिमा के साथ ही संगम पर लगने वाला एक महीने का कल्पवास भी शुरू हो जाएगा। पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु कल से एक महीने तक मेले में गंगा किनारे संयमित जीवन बिताकर पूजा-आराधना करेंगे। मान्यताओं के मुताबिक संगम पर कल्पवास करने वालों को न सिर्फ अपार पुण्य हासिल होता है, बल्कि उन्हें जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता है।



दुनिया के इस सबसे बड़े सालाना धार्मिक आयोजन में एक महीने तक कई शंकराचार्यों समेत देश भर के साधु-संत यहां भक्ति-ज्ञान और आध्यात्म की गंगा बहाएंगे तो साथ ही छह प्रमुख स्नान पर्वों पर पांच करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे। हालांकि योगी राज में हो रहे इस माघ मेले में असुविधाओं व बदइंतजामियों के चलते साधु-संतों के साथ ही आम श्रद्धालुओं में खासी नाराजगी है।