महाकुंभ में जूना अखाड़े की 200 महिलाएं लेंगी दीक्षा, गुरु मंत्र अपनाकर बनेंगी महिला संन्यासी
जूना अखाड़े की संन्यासियों महंत दिव्या गिरी ने बताया कि संन्यास के पहले हम लोग संन्यासियों को अवधूतानी बोलते हैं, यही अवधूतानी कल संन्यास की परंपरा को पूरा करेंगीं. महिला संन्यासी का मुंडन भी होता है.

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ एक ऐसा उत्सव है, जिसमें संन्यास की ओर आकर्षित होने वाले लोग दीक्षा लेकर संन्यास की तरफ आगे बढ़ते हैं. इस महाकुंभ में जूना अखाड़े से जुड़ी हुई 200 महिलाएं संन्यास लेने के लिए आज दीक्षा लेंगीं. दीक्षा लेने की प्रक्रिया को लेने के बाद संन्यासी महिलाएं अपना पूर्व जीवन को छोड़कर नया जीवन अपनाती है. दीक्षा लेने की क्या है प्रक्रिया? आइए आपको बताते हैं.
जूना अखाड़े की संन्यासियों महंत दिव्या गिरी ने बताया कि संन्यास के पहले हम लोग संन्यासियों को अवधूतानी बोलते हैं, यही अवधूतानी कल संन्यास की परंपरा को पूरा करेंगीं. उन्होंने प्रक्रिया के बारे में बताया कि पहले पंच दीक्षा की प्रक्रिया होगी. जिसमें जो इन अवधूतानी के मुख्य गुरु होंगे वह सम्मिलित होंगे. इसके बाद सम्मिलित रूप में इनका मुंडन संस्कार होता है. मुंडन के बाद सभी को धर्म ध्वजा के सामने बैठा दिया जाता है और उनको एक महामंत्र बताया जाता जिसको सभी लोग जपते हैं. ये महामंत्र उनको उनके गुरुदेव देते हैं.
महिला संन्यासी अपना पिंडदान खुद करती है
इन मंत्रों के जप के 24 घंटे घण्टे के बाद भोर में उनका पिंडदान होता है, जो तट पर होता है. उन्होंने कहा पिंडदान सब संन्यासी खुद का करती हैं क्योंकि अब संन्यास लेने के बाद मृत्यु कहां हो जाए कुछ पता नहीं और चूंकि हमारे परिजन तो रहते नहीं है क्योंकि सब संन्यास का कुटुंब है और हमारे गुरु हम तक अगर न पहुंच पाए इसलिए हमें खुद का पिंडदान करना होता है. जिससे हम लोग अपने जीवन से मुक्त हो जाए.
महंत दिव्यगिरी ने बताया कि इसके बाद सन्यासिनियों को एक दंड कमल दिया जाता है जिसको साथ में रखना होता है. इसको लेकर 108 की डुबकी लगाई जाती है और पिंडदान के बाद में स्नान इसके बाद एक मंत्र दिया जाता है. फिर सभी का परिचय पूछा जाता है. फिर सभी का आपस में वार्तालाप होता है और फिर 24 घंटे की प्रक्रिया पूरी होती है. इसमें बिना खाए पिए जाप करना होता है. संन्यासी सुबह 2:00 बजे के करीब डुबकी लगाती है उसके बाद 4:30 बजे सारे लोग वापस आते हैं वो सिर्फ तीन वस्त्र में होते हैं फिर वह वापस अपने-अपने कैंप में जाते हैं कपड़े पहनते हैं. आचार्य जी से मिलन होता है और फिर इसके बाद अपने नए जीवन के लिए सारी संन्यासी तैयार हो जाती है.
गुरु का आशीर्वाद लेकर महिलाएं लेती हैं संन्यास
उन्होंने कहा किसी संन्यासी का इंटरेस्ट भक्ति मार्ग में होता है, किसी का ज्ञान मार्ग में होता है, किसी के तपस्या में होता है, किसी का हठयोग में होता है. जिसका जो इच्छा होती है वह उस दिशा में अपने गुरु के आशीर्वाद से लेकर अपना संन्यास लेता है. इसके बाद महिला संन्यासी पूरे जीवन योग, साधना और धर्म के मार्ग पर चलती है.
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