हरिद्वार, उज्जैन और नासिक कुंभ में यूपी की छाप! योगी सरकार के इस फैसले को लागू करने की उठी मांग
Maha Kumbh 2025 Prayagraj: योगी सरकार ने साल 2025 के महाकुंभ में मुगलों के शासन से चले आ रहे नियम को तोड़ा. अब हरिद्वार, नासिक और उज्जैन महाकुंभ के लिए ऐसी ही एक मांग उठ रही है.

Maha Kumbh 2025 Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 61 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. ये महाकुंभ कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है. जहां देश और दुनिया से रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पवित्र जल में स्नान किया, ये अपने आप में बेहद अद्भुत था. यही नहीं इस बार साधु संतों के अखाड़ों की मांग पर योगी सरकार ने एक अहम फैसला लिया, जिसकी परछाई अब हरिद्वार, उज्जैन और नासिक कुंभ पर भी दिखाई दे सकती है.
कुंभ के दौरान साधुओं के अखाड़ों के स्नान को शाही स्नान कहा जाता था और जब अखाड़े छावनी में प्रवेश करते थे तो उसे पेशवाई कहा जाता था. योगी सरकार ने इस बार पेशवाई और शाही स्नान दोनों का नाम बदल दिया. अखाड़ों की मांग पर सीएम योगी ने पेशवाई का नाम छावनी प्रवेश और शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया. अब अखाड़ों ने उज्जैन, हरिद्वार और नासिक में लगने वाले कुंभ और अर्धकुंभ में भी इन दोनों नामों को बदलने की मांग की है.
तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री से करेंगे ये मांग
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस संबंध में तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलने की तैयारी की है. अखाड़ा इस संबंध में उनसे बात करेगा और कुंभ व अर्धकुंभ से शाही स्नान और पेशवाई शब्द हटाने की मांग करेंगे. अखाड़ों का कहना है कि ये दोनों ही शब्द फारसी हैं. ऐसे में सनातन धर्म की परंपराओं का नाम उर्दू या फारसी में नहीं नहो सकता, उनका नाम हिन्दी या संस्कृत में होना चाहिए.
इस संबंध में मनसा देवी मंदिर के ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमंहत रवींद्र पुरी का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ों और सनातन धर्मावलंबियों की मंशा का सम्मान रखते हुए पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदलने का उत्कृष्ट काम किया है. अब 2027 में नासिक में कुंभ, 2027 में हरिद्वार में अर्धकुंभ और 2028 में उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ होना है. हर जगह अखाड़ों की परंपरा समाना है ऐसे में इन नाम में भी एकरूपता होनी चाहिए.
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