Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के सबसे छोटे नागा संन्यासी, उम्र 8 साल, जूना अखाड़े के राजसी स्नान में होंगे सबसे आगे
Maha Kumbh 2025 News: महाकुंभ में संतों का आगमन शुरू हो चुका है. इस बीच महज आठ साल का एक बाल नागा लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हुजूम उमड़ा रहता है.
Prayagraj Maha Kumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ के लिए हजारों की संख्या में नागा साधुओं ने अपने अखाड़े की छावनी में धर्म और आध्यात्म की गंगा बहानी शुरू कर दी है, लेकिन बड़े नाम और ओहदे वाले इन संतों के बीच महज़ आठ साल का एक बाल नागा लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. दावा किया जा रहा है कि यह महाकुंभ में सबसे कम उम्र का नागा है. इस बाल नागा के दर्शन कर इनका आशीर्वाद लेने के लिए अखाड़े की छावनी में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा रहता है. यह बाल नागा 14 जनवरी को होने वाले पहले शाही यानी राजसी स्नान में अपने जूना अखाड़े में सबसे आगे चलेगा.
प्रयागराज महाकुंभ में नागा संन्यासियों की भीड़ के बीच अपनी अलग और अमिट छाप छोड़ने वाले इस बाल नागा का नाम गोपाल गिरि है. आठ साल की जिस छोटी सी उम्र में दूसरे बच्चे खिलौनों से खेलते हैं. मां-बाप के बिना एक पल भी नहीं रह पाते, उस उम्र में गोपाल गिरि दिगंबर यानी नागा स्वरूप में शरीर पर भभूत धारण कर जब धर्म और आध्यात्म की गूढ़ बातें बताते हैं तो देखने वाले दंग रह जाते हैं.
कड़कड़ाती ठंड में भी गोपाल गिरि के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं होता. गले में रुद्राक्ष की माला होती है और एक हाथ में कभी त्रिशूल तो कभी फरसा और दूसरे हाथ में भगवान भोलेनाथ का प्रिय डमरू. महज आठ साल के गोपाल गिरि जब धर्म और अध्यात्म पर चर्चा शुरू करते हैं और लोगों को मोह माया से दूर रहकर ईश्वर की आराधना में अपना वक्त बिताने का ज्ञान देते हैं, तो सुनने वाले हैरत में पड़ जाते हैं.
हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं बाल नागा गोपाल गिरी
गोपाल गिरि मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के रहने वाले हैं. जब वह सिर्फ तीन साल के थे, तभी उनके माता-पिता ने उन्हें गुरु को सौंप दिया था. अखाड़े ने पहले उन्हें शस्त्र और शास्त्र का शुरुआती ज्ञान दिया और फिर नागा संन्यासी के तौर पर उनकी दीक्षा हुई. नागा संन्यासी बनने के बाद गोपाल गिरि का परिवार और बाहरी दुनिया से नाता पूरी तरह टूट चुका है. उनका बाल मन कभी न तो विचलित होता है और ना ही मोह पालता है, लेकिन परिवार के लोग जब मिलने आते हैं तो वह उन्हें मना भी नहीं करते. कभी कभार फोन पर भी बात कर लेते हैं.
गोपाल गिरि के मुताबिक उन्हें न तो खिलौनों से खेलने का शौक है और ना ही वह सांसारिक दुनिया में वापस लौटना चाहते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए समर्पित कर दिया है. इससे उनके मन को जो सुकून मिलता है, वह कहीं और नहीं मिल सकता. वह सन्यासियों के सबसे बड़े और वैभवशाली जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं. जूना अखाड़े में छावनी के बाहर धूनी रमाते नागा साधुओं के बीच वह न सिर्फ शास्त्रार्थ करते हैं बल्कि भजनों की कुछ पंक्तियां भी गुनगुनाते रहते हैं.
महाकुंभ में बाल नागा बने आकर्षण का केंद्र
गोपाल गिरि नाम के यह बाल नागा महाकुंभ में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. हालांकि कई बार भीड़ ज्यादा बढ़ जाने पर वह थोड़ा नाराज़ हो जाते हैं और लोगों को डांटने भी लगते हैं, लेकिन उनका दावा है कि उन्हें कतई क्रोध नहीं आता. आठ साल के नागा संन्यासी गोपाल गिरि के मुताबिक मौजूदा समय में सनातनियों को एकजुट हो जाना चाहिए. एकजुट होने में ही सभी की भलाई है.
उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बटोगे तो कटोगे वाले बयान का खुलकर समर्थन किया है. उनका कहना है कि महाकुंभ को लेकर मोदी और योगी की सरकारों ने शानदार इंतजाम किए हैं.
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