महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सजी दुकानें, बनारस से पीतल की घंटियां तो मथुरा-वृंदावन से आईं तुलसी मालाएं
Mahakumbh: ज्योतिषाचार्यों की गणना के अनुसार ग्रह नक्षत्रों के विशिष्ट संयोग से इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्ष बाद पड़ने वाले महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. आयोजन से पहले दुकानें सज चुकी हैं.
Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं. महाकुंभ का इंतजार न केवल साधु-संन्यासी, कल्पवासी, श्रद्धालु बल्कि प्रयागराजवासी भी बेसब्री से कर रहे हैं. महाकुंभ में संगम, मेला क्षेत्र और प्रयागराज के दुकानदार पूजा सामग्री, पत्रा-पंचांग, धार्मिक पुस्तकें, रुद्राक्ष और तुलसी की मालाओं को नेपाल, बनारस, अयोध्या मथुरा-वृंदावन से मंगा रहे हैं. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु लौटते समय अपने साथ संगम क्षेत्र से धार्मिक पुस्तकें, पूजन सामग्री, रोली-चंदन और मालाएं जरूर ले जाते हैं.
इस वर्ष महाकुंभ के अवसर पर 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में आने का अनुमान है. श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने, उनके स्नान और रहने की व्यवस्थाओं का प्रबंध सीएम योगी के दिशा निर्देश पर मेला प्राधिकरण पूरे जोश और उत्साह के साथ कर रहा है. साथ ही प्रयागराजवासी और यहां के दुकानदार,व्यापारी भी महाकुंभ को लेकर उत्साहित हैं. महाकुम्भ उनके लिए पुण्य और सौभाग्य के साथ व्यापार और रोजगार के अवसर भी लेकर आया है.
पीतल की बनी वस्तुओं की मांग अधिक
अधिकांश श्रद्धालु राम चरित मानस, भागवत् गीता, शिव पुराण और भजन व आरती संग्रह की मांग करते हैं. इसके अलावा पूजा-पाठ का काम करने वाले पुजारी वाराणसी से छपे हुए पत्रा और पंचाग भी खरीदकर ले जाते हैं. इसके अलावा मुरादाबाद और बनारस में बनी पीतल और तांबें की घंटियां, दीपक, मूर्तियां भी मंगाई जा रही है. मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु और साधु-संन्यासी पूजा-पाठ के लिए हवन सामग्री, आसन, गंगाजली, दोनें-पत्तल, कलश आदि की मांग करते हैं.
ज्योतिषाचार्यों की गणना के अनुसार ग्रह नक्षत्रों के विशिष्ट संयोग से इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्ष बाद पड़ने वाले महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. महाकुंभ 2025, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू हो कर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ पूरा होगा. महाकुंभ में श्रद्धालुओं को रहने और खाने के लिए विशेष तरह के इंतजाम किए गए हैं. इसके साथ ही साफ-सफाई से लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
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