Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की रौनक दिखने लगी है. शनिवार (14 दिसंबर) को महाकुंभ के लिए श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने पूरी भव्यता और राजसी अंदाज में महाकुंभ नगर में प्रवेश किया. जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने भी जूना अखाड़े के अनुगामी के रूप में महाकुंभ क्षेत्र स्थित अपनी छावनी में प्रवेश किया.
इसी के साथ प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण 13 अखाड़ों का महाकुंभ नगरी में प्रवेश का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रयागराज में अगले नए साल पर 13 जनवरी से 16 फरवरी तक महाकुंभ का भव्य और दिव्य आयोजन होगा.
संत परंपरा के अनुसार महाकुंभ शुरू
हालांकि राज्य सरकार ने प्रशासनिक तौर पर महाकुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत 13 जनवरी से करने का ऐलान किया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद आज संतों ने महाकुंभ नगर प्रवेश किया और संत परंपरा के अनुसार आज से महाकुंभ की शुरुआत का ऐलान कर दिया है.
13 अखाड़ों में सबसे बड़े और सर्वाधिक मान्य जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने आज से महाकुंभ के शुरुआत का ऐलान किया. जूना अखाड़े के नगर प्रवेश के साथ ही त्रिवेणी के तट पर लगने जा रहे आस्था के महा समागम महाकुंभ में शामिल होने के लिए अखाड़ों का महाकुंभ नगर में प्रवेश का सिलसिला भी शुरू हो गया है.
यहां से शुरू हुई संतों की पेशवाई
इसी कड़ी में शनिवार को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी की अगुवाई में अपनी छावनी में प्रवेश किया. जूना अखाड़े के श्री मौज गिरी आश्रम से शुरू हुई जूना की पेशवाई महाकुंभ नगर के सेक्टर 20 में समाप्त हुई.
जूना अखाड़े के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरी ने बताया कि इस प्रवेश यात्रा में आचार्य महामंडलेश्वर सहित 65 महामंडलेश्वरों ने हिस्सा लिया है. सौ से अधिक शाही बग्गियों में सवार होकर 8 हजार से अधिक साधु संत छावनी पहुंचे.
अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने बताया कि दुनिया भर के करोड़ों लोगों की नजरें हमारे सनातन संस्कृति के कालजयी पर्व पर है. हमारे अखाड़े का छावनी प्रवेश में पहला दिन होगा, जिसके बाद अखाड़े के सभी पूजा अनुष्ठान छावनी में स्थापित देवता के समक्ष होंगे.
किन्नर अखाड़े ने भी किया नगर प्रवेश
श्री पंच दशनाम अखाड़े के साथ उसका अनुगामी बनकर किन्नर अखाड़े ने भी अपनी प्रवेश यात्रा निकाली. किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकाली गई, जिसमें किन्नर अखाड़े के सैकड़ों सदस्यों ने हिस्सा लिया. इस दौरान भव्य राजसी सिंहासनों पर सवार होकर किन्नर अखाड़े की सवारी निकली.
नागा साधुओं ने किया आकर्षित
आज यानी शनिवार (14 दिसंबर) को जूना अखाड़े की पेशवाई में आगे- आगे चल रहे रहे नागा साधुओं की प्रसन्नता और मस्ती देखते ही बन रही थी. नागा साधू अपने अनोखे अघोरी शृंगार में अद्भुत जुलूस में शिव के दूत बने नाचते हुए, तलवार घुमाते हुए चल रहे थे.
किसी ने सिंथेटिक नरमुण्ड की माला पहन रखी थी तो किसी ने रुद्राक्ष से खुद को सजा रखा था. सभी नागा साधुओं ने अपने शरीर पर भभूत रमा रखी थी. उनके पैरों में कड़े और हाथों में चांदी की कड़ियां थीं. कुछ नागा साधुओं ने हाथों में चांदी के विशाल त्रिशूल थाम रखा था.
ये भी पढ़ें: यूपी में सात वर्षीय छात्रा की मौत डॉक्टरों के लिए बनी पहेली, पोस्टमार्टम में नहीं हुआ खुलासा