महाशिवरात्रि कल यानी शुक्रवार को है। यह भगवान शिव की अराधना का विशेष दिन माना जाता है। आज हम लोग बात करने जा रहें हैं शिवरात्रि पर्व की, इसका क्या महत्व है? कैसे पूजा करनी चाहिए? और किन-किन बातों का ध्यान रखना होगा।


शिवरात्रि कब


-चतुर्दशी तिथि आरंभ- सायं 05:20 (21 फरवरी)


-चतुर्दशी तिथि समाप्त- 22.02.20- सायं 07:02 (22 फरवरी)


-निशिथ काल पूजा- रात्रि 11:38 से रात्रि 01:00 (21 फरवरी)


चतुर्दशी तिथि जब सायंकाल से आरम्भ होती है। उसी रात्रि को शिवरात्रि मनाई जाती है इसलिए कल शिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाएगी। आज हम लोग शिव उपासना से संबंधित बात करेंगे और साथ ही ऐसे क्या उपाय किए जाएं जिससे जीवन सुखमय हो और महादेव की कृपा प्राप्त हो।


शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। शिवरात्रि प्रत्येक माह पड़ती है लेकिन फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है। महाशिवरात्रि में रात्रि लगा हुआ है इसका अर्थ है ? रात्रि का बहुत महत्व है इस रात्रि को निष्क्रिय रहते हुए केवल सोकर निकालने से कोई लाभ नहीं होता।


जैसे दीपावली की रात्रि है, होली की रात्रि है, जन्माष्टमी की रात्रि है, उसी प्रकार शिवरात्रि की रात्रि का बहुत महत्व है। इस दिन शिव उपासना निश्चित रूप से बहुत फलदायी होती है।


निशीथकाल काल का जो समय है। वह बहुत कठिन नहीं है अब रात 12:00 बजे तक बिग बॉस आनंद के साथ जब देखा जा सकता है तो 11:30 से रात्रि 1:00 तक अगर घर के सभी सदस्य ओम नमः शिवाय का जाप कर सकते हैं।


शिव भजन गाए कोई यूट्यूब में अच्छा मंत्र लगा लीजिए शिव का ऑडियो बजा लीजिए घर की लाइटें जलाइए इस समय का आनंद लीजिए शिव के नाम जाप में शिव की आराधना में मस्त हो जाइए।


कल एक काम और करना होगा की आप लोगों को सुबह स्नान करके जो भी आपके घर के पास में शिव-मंदिर हो वहां जाएं और शिव पर जल अर्पित करें, दूध अर्पित करें और फिर जल अर्पित करके स्वच्छ करके शिव लिंग को बेलपत्र व पुष्प चढ़ाएं थोड़ा सा चंदन पाउडर भी लगाएं और उसको भी महादेव पर अर्पित करिए। अगर सुबह जाने में दिक्कत हो तो रात में भी आप जा सकते हैं और रात में जाना ज्यादा अच्छा रहेगा। जो लोग व्रत रखना चाहे वह व्रत भी रख सकते हैं इस दिन ठंडाई घर में बनाइए और महादेव को भोग लगाए। प्रसाद के रूप में उसका वितरण करने से शिव की प्रसन्नता प्राप्त होती है।


व्रत विधि


शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भक्तगणों को पूरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद मांगना चाहिए।


शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए। भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।


अब बात करते हैं कुछ उपाय की


जिन लोगों का स्वास्थ्य बहुत खराब चल रहा है उन लोगों को रात्रि में महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए। स्वच्छ जगह बैठ जाएं यदि ऐसा संभव न हो तो चेयर में बैठ सकते हैं उसके उपरान्त (नोट- कपड़े बदलकर कर ही जाप आदि करें) माला लेकर और माला को आप किसी कपड़े से ढक लीजिए। हर बार की तरह एक बार फिर बताना चाहूँगा की जाप करते हुए माला दिखनी नहीं चाहिए। जाप करते समय एक कटोरी में सामने जल रख लीजिए जाप करने के बाद पूरे घर में उसी जल का छिड़काव करें उसका दो बूंद मुंह में डालें। इससे महादेव की कृपा से आपके रोग दूर होगा।


जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा है वह कल नमः शिवाय का जाप करें महादेव से वर प्राप्ति की प्रार्थना करें इससे उनकी कृपा प्राप्त हो जाती है।


रुद्राभिषेक का प्लान लीजिए ,


-घर के पास में जो भी शिव मंदिर हो वहां पर जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। यदि नदीं किनारे शिवालय हो तो बहुत ही उत्तम रहेगा।


जो भी लोग नशा करते हैं उनसे मेरा अनुरोध है कि वह भगवान भोले नाथ का ध्यान करके नशे को त्याग दें। उनको समर्पित कर दें। क्योंकि महाशिव रात्रि है ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा।