Mahakumbh 2025: पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ पर बोलते हुए कहा कि पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए. सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है. इस आयोजन की पीएम मोदी ने जमकर तारीफ की. लेकिन पीएम मोदी के तारीफ करने के बाद विपक्ष को नहीं बोलने देने पर लोकसभा से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने वॉक आउट किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "पिछले वर्ष अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हमने महसूस किया था कि कैसे देश अगले 1000 वर्षों के लिए तैयार हो रहा है. इसके ठीक एक साल बाद महाकुंभ के इस आयोजन ने हम सभी के इस विचार को और दृढ़ किया है. देश की यह सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है."
क्या बोले सपा सांसद
उन्होंने ने कहा, "महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है. महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र, कोने से आए लोग एक हो गए. लोग अहम त्यागकर मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे. जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की झलक दिखती है."
पीएम मोदी के कुंभ के बयान में हादसे के मृतकों का कोई जिक्र ना होने और विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिए जाने के खिलाफ सपा और कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने विरोध किया. सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि पीएम मोदी एकतरफा बोल कर चले गए. विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया गया. प्रधानमंत्री को सदन में बताना चाहिए था कि महाकुंभ में कितने लोग लापता हुए, कितने लोगों की मौत हुई और उनके परिवारों के लिए सरकार क्या करेगी और विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए था.
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किसने क्या कहा
वहीं केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के महाकुंभ पर दिए गए वक्तव्य पर कहा, "यह दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन था और प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी सफलता के लिए सभी के प्रयासों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कुंभ के लिए सभी को शुभकामनाएं, बधाई और आभार व्यक्त किया."
जबकि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में महाकुंभ पर प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य पर कहा, "वह महाकुंभ पर सकारात्मक बोल रहे थे. विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए था क्योंकि विपक्ष की भी इसके (महाकुंभ) प्रति भावनाएं हैं और अगर हम अपनी बात रखते हैं तो उन्हें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. विपक्ष को भी दो मिनट बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए थी."