Prayagraj News Today: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में साधु संतों का आगमन शुरू हो गया है, जिससे यहां महाकुंभ से पहले ही चहल पहल बढ़ गई है. महाकुंभ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों की बसावट की प्रक्रिया शुरू हो गई है.  


प्रदेश सरकार महाकुंभ की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसके लिए तैयारियां काफी पहले से शुरू हो गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला प्रशासन ने अखाड़ों के संतों की सहमति से कुंभ क्षेत्र में छावनी बसाने के लिए भूमि आवंटित करनी शुरू कर दी है. 


'10 अखाड़ों को जमीन आवंटित'
यूपी सरकार की दिव्य और भव्य महाकुंभ के आयोजन की परिकल्पना ने कुंभ क्षेत्र में आकार लेना प्रारंभ कर दिया है. इस दिशा में सबसे पहला कदम सनातन संस्कृति के प्रतीक अखाड़ों को भूमि आवंटन की प्रकिया शुरू हो गई. कुंभ क्षेत्र में आज संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के संतों को अपनी छावनी लगाने के लिए कुंभ मेला प्रशासन की तरफ से भूमि का आवंटन शुरू किया गया.


एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि आवंटन के पहले दिन साधु संतों की सहमति से दस अखाड़ों को कुंभ क्षेत्र में जमीन का आवंटन किया गया है. 


अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि पहले दिन संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के लिए भूमि आवंटित की गई. प्रशासन के सहयोग से भूमि पूजन की प्रकिया पूरी करने के बाद अन्य परंपराएं पूरी की जाएंगी. 


अधिकारियों ने दिखाई भूमि
भूमि आवंटन पर सहमति बनने के बाद कुंभ मेला प्रशासन के अधिकारियों की टीम अखाड़े के साधु संतो के साथ कुंभ मेला क्षेत्र में अखाड़ा सेक्टर पहुंची. यहां मेला प्रशासन की तरफ से अखाड़ों को उनको आवंटित भूमि को दिखाई गई. जहां उनकी छावनी लगनी है. पूरी तरह समतल भूमि पर अखाड़ों ने अपनी अपनी भूमि का सीमांकन किया. इसके उपरांत कुंभ क्षेत्र में खूंटा गाड़ने की परम्परा पूरी की गई.


'सभी 13 अखाड़े हैं एकजुट'
अखाड़ा परिषद की बैठक में मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन पर अंतिम मुहर लगी. बैठक की समापन के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि हम सभी 13 अखाड़े एकजुट हैं और मेला प्रशासन जो जमीन हमें देगा, हम उसके लिए तैयार हैं.


खाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, "ये हमारा मेला है और हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. जहां-जहां जमीन हमें आवंटित होगी, हम खुशी से वहां निशान लगाएंगे."


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