Mahakumbha 2025: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ मेले (Mahakumbha 2025) में इस बार दुनिया भर से तकरीबन चालीस श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इन श्रद्धालुओं को भगदड़ - नदी में डूबने, आग लगने या आपदा की कोई दूसरी स्थिति आने पर किस तरह से बचाया जाना है, इसे लेकर लगातार कवायद की जा रही है. फोर्स के साथ ही अग्निशमन विभाग और गोताखोरों को ट्रेनिंग दी जा रही है. एनडीआरफ और एसडीआरएफ के जवानों को मेला क्षेत्र की परिस्थितियों से रूबरू कराया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार वर्कशॉप आयोजित कर रहा है. इसमें यह बताया जा रहा है कि पहले तो बेहतर मैनेजमेंट से किसी तरह की आपदा को रोकना है, लेकिन अगर आपदा की कोई स्थिति आती है तो सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित बचाकर उनकी जान माल की पूरी तरह से हिफाजत करनी है. श्रद्धालुओ को सुरक्षित रखने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत सभी नई तकनीको का जमकर इस्तेमाल करना है.
वर्कशॉप आयोजित कर वॉलिंटियर्स को दी जा रही ट्रेनिंग
वर्कशॉप आयोजित कर अलग-अलग विभागों में कोऑर्डिनेशन कर उन्हें ट्रेनिंग देने का काम उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तरफ से किया जा रहा है. प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी खुद ही सरकारी विभागों के साथ ही वॉलिंटियर्स को ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं. अभी फिलहाल गूगल मैप और वीडियो फिल्म के जरिए मेला क्षेत्र की हकीकत से रूबरू कराया जा रहा है. उन्हें अलग-अलग जगह और अलग-अलग परिस्थितियों के मुताबिक आपदा रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है. दो हफ्ते के बाद मेले में बसावट शुरू होने पर सरकारी अमले से जुड़े लोगों और वॉलिंटियर्स को ग्राउंड जीरो पर ले जाकर फील्ड ट्रेनिंग दी जाएगी.
लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी के मुताबिक आपदा मैनेजमेंट को लेकर महाकुंभ प्रशासन के पास हाई तकनीक वाले तमाम उपकरण मौजूद है. डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तकरीबन ढाई हजार हाई क्वालिटी कैमरों से निगरानी की जाएगी. आग बुझाने के मामलों में रोबोट की मदद ली जाएगी. इसके अलावा गहरे पानी में किसी श्रद्धालु के डूबने पर अंडरवाटर ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इन तकनीकों और उपकरणों के जरिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा करना बेहद आसान हो जाएगा.
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा बड़ी चुनौती
लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी के मुताबिक तकनीक और उपकरणों के हाईटेक होने के बावजूद महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा बड़ी चुनौती है. आपदा प्रबंधन के काम में लगे लोगों को पल-पल सजग रहना है. उनके मुताबिक सबसे बड़ा काम भीड़ को नियंत्रित करना है. भीड़ को कहीं रोका नहीं जा सकता, ऐसे में उसे डाइवर्ट कर किसी भी संभावित आशंका या दुर्घटना को रोका जा सकता है. उनके मुताबिक सभी तैयारिया पूरी कर ली गई हैं और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान कराया जाएगा.
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