Mahant Narendra Giri Death Case: हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी को SIT ने किया गिरफ्तार
Mahant Narendra Giri Death Case: आद्या तिवारी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी हैं. एसआईटी ने जांच शुरू करते ही हिरासत में लिए गए आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर लिया.
Mahant Narendra Giri Death Case: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की खुदकुशी मामले में एसाआईटी ने हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी (Aadya Tiwari) को गिरफ्तार कर लिया है. एसआईटी ने जांच शुरू करते ही हिरासत में लिए गए आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर लिया. महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि के बयान और कथित सुसाइड नोट के आधार पर आद्या तिवारी की गिरफ्तारी हुई है. एसआईटी बुधवार को आनंद गिरि और आद्या तिवारी को कोर्ट में पेश करेगी. एसआईटी दोनों को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी भी देगी. एसआईटी प्रमुख अजीत सिंह चौहान ने इस बात की जानकारी दी.
बता दें कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु की जांच के लिए जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने मंगलवार को एक 18 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. एसएसपी मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, थाना जार्ज टाउन में भादंसं की धारा 306 के तहत पंजीकृत मुकदमे में मामले की तह तक जाने एवं अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी प्रयागराज ने तत्काल प्रभाव से एसआईटी का गठन किया है. इस जांच टीम में क्षेत्राधिकारी (नगर चतुर्थ) अजीत सिंह चौहान, क्षेत्राधिकारी (नगर पंचम) आस्था जायसवाल, प्रभारी निरीक्षक, थाना जार्ज टाउन महेश सिंह सहित 18 अधिकारी नामित किए गए हैं.
महंत नरेंद्र गिरि ने अपने कथित सुसाइड नोट में अपने शिष्य आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, “मैं बहुत दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं. मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी की होगी.”
कथित सुसाइड नोट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से इन तीन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है जिससे उनकी (महंत की) आत्मा को शांति मिल सके. महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि 13 सितंबर, 2021 को ही उन्होंने आत्महत्या करने का मन बनाया था, लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पाये थे.
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