नई दिल्ली,एबीपी गंगा। शिव की अराधना का दिन महाशिवरात्रि का आज पर्व है। इस दिन भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा से व्रत रखते हैं उन्हें भगवान शिव की कृपा मिलती है। इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति से भोले शंकर का व्रत रखना चाहिए। पूरा दिन भगवान शिव के चरणों में भक्ति के साथ बिताना चाहिए। सुबह सबसे पहले जल में काले तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद भोले शंकर के शिवलिंग पर दूध, शहद से अभिषेक कराना चाहिए।


अभिषेक करते समय ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। इस व्रत को करें तो ध्यान रखें कि चावल, आटा और दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर निराहार व्रत नहीं रख सकते तो इस दिन फल, चाय, दूध ले सकते हैं। शाम को कूट्टू के आटे से बनी पूड़ी, सिंगाड़े का आटा ले सकते हैं। इसके अलावा आलू और लौकी का हलवा भी ले सकते हैं। अगर आप पूरे दिन निराहार व्रत रखना चाहते हैं तो अगले दिन स्नान करके व्रत का पारण कर सकते हैं। इस बीच रात्रि में भोले शंकर का जागरण करना चाहिए। कहा जाता है कि शिवरात्रि में संपूर्ण रात्रि जागरण करने से महापुण्य फल की प्राप्ति होती है।


शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त


-चतुर्दशी तिथि आरंभ- सायं 05:20 (21 फरवरी)


-चतुर्दशी तिथि समाप्त- 22.02.20- सायं 07:02 (22 फरवरी)


-निशिथ काल पूजा- रात्रि 11:38 से रात्रि 01:00 (21 फरवरी)


चतुर्दशी तिथि जब सायंकाल से आरम्भ होती है। उसी रात्रि को शिवरात्रि मनाई जाती है इसलिए आज शिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाएगी। आज हम लोग शिव उपासना से संबंधित बात करेंगे और साथ ही ऐसे क्या उपाय किए जाएं जिससे जीवन सुखमय हो और महादेव की कृपा प्राप्त हो।


शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। शिवरात्रि प्रत्येक माह पड़ती है लेकिन फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है। महाशिवरात्रि में रात्रि लगा हुआ है इसका अर्थ है ? रात्रि का बहुत महत्व है इस रात्रि को निष्क्रिय रहते हुए केवल सोकर निकालने से कोई लाभ नहीं होता।


शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। शिवरात्रि प्रत्येक माह पड़ती है लेकिन फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है। महाशिवरात्रि में रात्रि लगा हुआ है इसका अर्थ है ? रात्रि का बहुत महत्व है इस रात्रि को निष्क्रिय रहते हुए केवल सोकर निकालने से कोई लाभ नहीं होता।


जैसे दीपावली की रात्रि है, होली की रात्रि है, जन्माष्टमी की रात्रि है, उसी प्रकार शिवरात्रि की रात्रि का बहुत महत्व है। इस दिन शिव उपासना निश्चित रूप से बहुत फलदायी होती है।


व्रत विधि


शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भक्तगणों को पूरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद मांगना चाहिए।


शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए। भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।