Mahashivratri 2023: 'त्रिवटी नाथ मंदिर' पर दर्शन के लिए उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, हर मनोकामना होती है पूरी
Trivati Nath Temple: बरेली नाथ नगरी का प्राचीनतम और भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ महादेव मंदिर बरेली ही नहीं अपितु उत्तर प्रदेश और विदेश में रहने वाले सभी सनातन प्रेमियों और भक्तों की आस्था का केंद्र है.
Bareilly News: कहते है महाशिवरात्रि के दिन नाथ नगरी की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. बरेली के सातों नाथों की परिक्रमा करने, जलाभिषेक करने और रुद्राभिषेक करने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. बरेली के प्रेम नगर में स्थित त्रिवटी नाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि तीन वट वृक्ष के बीच से भगवान भोलेनाथ स्वयं भू प्रकट हुए है. यही वजह है कि यहां दुनिया भर से श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए आते हैं.
सावन और महाशिवरात्रि पर बरेली के सभी सातों नाथ मंदिरों में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है. श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें त्रिवटी नाथ मंदिर में जलाभिषेक करके काफी सुकून मिलता है. मन को शांति मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है. त्रिवटी नाथ मंदिर में छात्र छात्राएं, बुजुर्ग, व्यापारी, उद्योगपति, महिलाएं, बच्चे, धनवान और निर्धन, अधिकारी और कर्मचारी सभी लोगों की आस्था है. यही वजह है कि यहां हर वर्ष लाखों शिव भक्त दर्शन करने आते हैं.
करीब 600 साल पुराना है मंदिर
बरेली नाथ नगरी का प्राचीनतम और भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ महादेव मंदिर बरेली ही नहीं अपितु उत्तर प्रदेश और विदेश में रहने वाले सभी सनातन प्रेमियों तथा भक्तों की आस्था का केंद्र है. भक्तों का प्रबल विश्वास है कि यहां सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह धर्म स्थल 600 वर्ष प्राचीन है, जहां महादेव स्वयं प्रकट शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. लोगों ने बताया कि आज से लगभग 600 वर्ष पहले चारों ओर भयानक पशु पक्षियों से भरा हुआ अति घोर जंगल हुआ करता था और यहां पर साधारण मानव का आना बहुत दुर्गम और असम्भव हुआ करता था.
यहां पर चरवाहे दिन के समय में अपने पशु चराने आया करते थे. एक बार एक चरवाहा अपने पशु चराने के बाद काफी थक गया था और वट वृक्ष के नीचे विश्राम करते हुए गहन निद्रा में सो रहा था, तभी उसको एक दिव्य सपना आया, जिसमें महादेव ने स्वयं उसको दर्शन दिए और कहा कि उठ मैं इसी वट वृक्ष के नीचे विराजमान हूँ. अचंभित होकर उस चरवाहे की नींद खुल गई और उसने वट वृक्ष के नीचे विशाल शिवलिंग को पाया.
शिवलिंग को देखकर चरवाहे को बहुत हर्ष हुआ और उसने महादेव का ध्यान कर अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया. साथ ही प्रकट दिव्य शिवलिंग के बारे में शहर में जाकर सभी जनता जनार्दन को जाकर बताया तभी से इस दिव्य शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों का आना लगातार बढ़ता चला गया. जिसने भी सच्चे मन से यहां पर आकर अपनी मनोकामना मांगी वह अवश्य पूर्ण हुई.तीन वट वृक्ष के मध्य में भगवान शंकर लिंग रूप में विराजमान है. बाबा का यह पावन तथा सभी के दुख को हरने वाला स्वरुप बाबा त्रिवटीनाथ महादेव के नाम से सभी शिव भक्तों के ह्रदय में विराजित है.
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