Mahashivratri 2024: 'हर-हर महादेव' के जयकारों से गुंजायमान हुए शिवालय, प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़
UP News: महाशिवरात्री पर्व के मौके पर प्रयागराज के प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. पूरा मंदिर परिसर हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा.
Mahashivratri 2024: आज यानी 8 मार्च को पूरे देशभर में शिवरात्री का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, सुबह से शिवालय हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान हो रहे थे. संगम नगरी प्रयागराज में शिवरात्री पर्व को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला है. महाशिवरात्रि का पर्व संगम नगरी प्रयागराज के माघ मेले में भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया.
इस मौके पर जहां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में लाखों श्रद्धालु ने आस्था की डुबकी लगाई, प्रयागराज के प्राचीन शिव मंदिरों व दूसरे शिवालयों में लोग दर्शन पूजन कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया. श्रद्धालुओ की भीड़ को देखते हुए मंदिरों में इसके लिए विशेष इंतजाम किए गए. सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे और बैरिकेडिंग लगाई गई है. महाशिवरात्रि पर इस बार प्रदोष पड़ने की वजह से पर्व का महत्व कई गुना बढ़ गया है.
महिला श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
प्रयागराज के प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए आने का अनुमान है. मंदिर के व्यवस्थापक स्वामी श्री धरानंद जी महाराज के मुताबिक दर्शन पूजन सुबह 4:00 बजे से ही शुरू हो जाएगा. श्रद्धालु आसानी से दर्शन पूजन कर सकें, इसके लिए प्रशासन की मदद से विशेष व्यवस्थाएं की गई है. महिला श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.
महाशिवरात्रि के पर्व के साथ ही प्रयागराज में पिछले 50 दिनों से चल रहे माघ मेले का समापन भी हो जाएगा. प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत चौदह जनवरी को मकर संक्रांति से हुई थी. इस बार के माघ मेले में तकरीबन 6 करोड़ श्रद्धालु संगम पर आए थे. माघ मेले के समापन के बाद सरकार अब महाकुंभ की तैयारी में जुट जाएगी. महाशिवरात्रि के मौके पर माघ मेले के कई शिविरों में विशेष अनुष्ठान होंगे. इस मौके पर जगह-जगह भंडारा आयोजित कर लोगों को भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का प्रसाद भी दिया जाएगा. प्रयागराज में महाशिवरात्रि के मौके पर कई जगहों पर शिव बारात निकाले जाने की भी परंपरा है.
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