One Nation, One Election: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर गठित कमेटी का महेंद्र भट्ट ने किया स्वागत, देशहित के लिए बताया अच्छा कदम
One Nation, One Election: उत्तराखंड में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर गठित कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाए जाने के फैसले का स्वागत किया है.
Mahendra Bhatt on One Nation, One Election: बीजेपी की केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर एक कमेठी गठित की है. इस कमेटी का मुख्य काम पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में उन सभी पहलुओं पर विचार करेगी जो एक देश, एक चुनाव की संभावना का पता लगाएगी. फिलहाल उत्तराखंड में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर केंद्र सरकार की बनाई कमेटी का स्वागत करते हुए इसे देशहित में एक अच्छा कदम बताया है.
उत्तराखंड में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बयान जारी करते हुए कहा कि बीजेपी पहले से ही देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों के पक्ष में रही है क्योंकि पार्टी का मानना है कि अलग अलग चुनाव होने से लगातार अधिसूचना और तैयारियों के कारण विकास के कार्य प्रभावित होते हैं. इसके साथ ही इन सभी कयावदों में बड़ी आर्थिक हानि भी होती है और अव्यवस्थता की स्थिति बनी रहती है.
कमेटी के अध्यक्ष के लिए रामनाथ कोविंद सबसे बेहतर
महेंद्र भट्ट ने कहा कि 'इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार संसद, लालकिले के प्राचीर और अन्य स्थानों पर चर्चा करते रहे हैं.' उन्होंने इस विषय पर बनाई कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति और कानूनविद रामनाथ कोविंद को मनोनीत करने का स्वागत करते हुए कहा कि देश के सभी पक्षों से बातचीत और कानूनी पहलुओं पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से बेहतर कोई नहीं हो सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि एक देश एक चुनाव के यथार्थ में उतरने पर आर्थिक नुकसान से बचते हुए देश में विकास की रफ्तार बनाए रखने में कामयाब रहेगा.
विरोध के बजाए सुझाव दे विपक्ष
महेंद्र भट्ट ने विरोध करने वाले विपक्षी दलों को जबाब देते हुए कहा कि जो इस प्रक्रिया को संविधान विरोधी बता रहे हैं, उन्हें जानना चाहिए कि 1952, 1957, 1962 और 1967 तक देश में केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ होते आए हैं. उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया संसद के माध्यम से ही होना निश्चित है. ऐसे में संविधान का उल्लघंन कैसे हो सकता है. संसद का कार्य ही देश की बेहतरी के लिए नए कानून बनाने और पुराने कानूनों में संशोधन करना है. इसलिए इसे राजनैतिक चश्मे से देखते हुए विरोध करने के बजाय विपक्ष को सुझावों के साथ विचार विमर्श के लिए आगे आना चाहिए.
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