महेंद्र सिंह धोनी के 'बलिदान बैज' पहनने पर विवाद बढ़ा, पाक के मंत्री बोले- वहां क्रिकेट खेलने गए हैं या ...
वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत ने गुरुवार को अपना पहला मैच खेला। इस दौरान भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने 'बलिदान बैज' का चिन्ह छपे ग्लव्स पहने थे। हालांकि, धोनी का ग्लव्स पहनना चर्चाओं का विषय बन गया।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत ने गुरुवार को अपना पहला मैच खेला। इस दौरान भारतीय विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी ने 'बलिदान बैज' का चिन्ह छपे ग्लव्स पहने थे। हालांकि, धोनी का ग्लव्स पहनना चर्चाओं का विषय बन गया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने धोनी के ऐसे ग्लव्स पहनने पर आपत्ति जताई है। आईसीसी ने पैरा स्पेशल फोर्स के रेजिमेंटल निशान को ग्लव्स से हटाने के लिए कहा है।
बता दें कि भारत ने यह मैच दक्षिण अफ्रीका से 6 विकेट से जीत लिया। इस मैच में धोनी ने 46 गेंदों पर 34 रन की पारी खेली। इस दौरान उन्होंने दो चौके लगाए।
कौन लगा सकता है बलिदान बैज बता दें कि 'बलिदान बैज' का इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता है, इसे सिर्फ पैरा कमांडो ही लगा सकते हैं। यह भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन यूनिट होती है। बता दें कि इन पैरा कमांडो ने ही साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
महेंद्र सिंह धोनी ने किस हक से लगाया ? बता दें कि धोनी को साल 2011 में भारतीय सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। इससे पहले कपिलदेव को यह सम्मान दिया गया था। धोनी ने पैरा बेसिक कोर्स किया है और पैराट्रूपर्स की ट्रेनिंग भी भी ली है। जहां तक बात है पैरा फोर्सेज का चिन्ह लगाने की है तो धोनी ने वायुसेना के विमान एएन-32 से पांचवीं छलांग लगाकर ये योग्यता प्राप्त की है।
पाक के विदेश मंत्री भड़के महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पहनने के विवाद में अब पाकिस्तान के मंत्री भी कूद पड़े हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि धोनी वहां क्रिकेट खेलने गए हैं न कि 'महाभारत' के लिए।
भारतीयों ने कहा- इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए खेल मंत्री किरण रिजिजू ने इस मामले पर कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के समक्ष अच्छे से रखना चाहिए और देश के लोगों की भावना से अवगत कराना चाहिए। वहीं, राजीव शुक्ला ने कहा न तो धोनी ने कोई राजनीतिक चिन्ह पहना है और न ही किसी धर्म विशेष का, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि आईसीसी को इस बारे में कोई आपत्ति करनी चाहिए।