बाराबंकी: हाल ही उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षकों और शिक्षा विभाग का हुआ है. तमाम शिक्षकों ने चुनाव प्रशिक्षण और ड्यूटी के चलते कोरोना वायरस संक्रमित होकर अपनी जान गंवाई. आज सरकार और सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री और प्रशासन आंकड़ों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. जो आंकड़े जिलों में बताए जा रहे हैं, इन्हें उस परिवार का दर्द भी नहीं दिख रहा जिस परिवार ने अपने जिगर का टुकड़ा और अपना पालनहार खो दिया है. कोरोनावायरस संक्रमण और परेशानी के दौर में अब उनके जीवनयापन का सहारा कौन बनेगा यह भी एक बड़ा सवाल है. महेश प्रसाद के परिवार का दर्द कुछ ऐसा ही है.
चुनाव ड्यूटी के दौरान महेश हुये थे संक्रमित
बाराबंकी जिले के सिद्धौर ब्लाक में कमपोजिट विद्यालय सुसवाई गांव में बतौर सहायक अध्यापक तैनात लगभग 50 वर्षीय महेश प्रसाद के परिवार में मातम छाया हुआ है. महेश प्रसाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस संक्रमित हुए थे और उसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
घर में अकेले कमाने वाले थे महेश
उनके परिवार में उनकी मां, पत्नी, दो शादी योग्य बेटियां, एक बेटा भी है. बेटियों की शादी कैसे होगी, घर कैसे चलेगा, यह चिंता उनकी पत्नी को खाये जा रही है. आंसू हैं कि थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. आज इस परिवार का कोई सहारा नहीं है, क्योंकि महेश प्रसाद के वेतन से परिवार का पालन पोषण होता था.
प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों द्वारा प्रशासन और शासन के पास गुहार लगाने के बाद भी अभी तक महेश प्रसाद और उनके जैसे लगभग दो दर्जन से अधिक अपनी जान गवां देने वाले शिक्षकों के दर्द को किसी ने नहीं समझा. उनके परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है और वह हमेशा यह सोचते हैं कि अगर पंचायत चुनाव ना हुआ होता और हमारा बेटा, हमारा पति, हमारा भाई आज हमारे बीच होता.
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