Mahila Naga Sadhu Life: भारत को साधु संतों का देश कहा जाता है. यहां पर कई तरह के अखाड़े और साधु संतों की परंपरा है. इन्हीं में से कुछ नागा साधु (Naga Sadhu) होते हैं जिनकी जिंदगी बेहद रहस्यमयी होती है. नागा साधु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित विभिन्न अखाड़ों में से ऐसे साधु होते हैं जो हमेशा निवस्त्र रहते हैं. चाहे कितनी भी गर्मी हो या सर्दी ये बिना कपड़ों के ही अपनी जिंदगी जीते हैं. नागा साधु बहुत ही कम दिखाई देते हैं. इन साधुओं को अक्सर कुंभ मेले या फिर किसी बड़े धार्मिक स्नान के दौरान ही देखा जा सकता है. नागा साधु होना इतना आसान नहीं है. आपको जानकार हैरानी होगी कि पुरुष नागा साधुओं की तरह महिलाएं भी नागा साधु होती हैं.
नागा साधु भगवान शिव और अग्नि के भक्त होते हैं, कहते हैं कि दुनिया चाहे कितनी भी बदल जाए लेकिन इन साधुओं का स्वरूप हमेशा ऐसा ही रहता है. ये साधु आम जनजीवन से दूर एकांत में अपना जीवन जीते हैं. इनके गुस्से को लेकर भी कई तरह का कहानियां कही जाती है. नागा साधु वैसे तो शांत ही रहते हैं लेकिन अगर कोई इन्हें छेड़े या तंग करे तो इनका क्रोध बेहद भयानक हो जाता है. इन्हें शांत करना बहुत मुश्किल होता है. पुरुष नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधु का स्वरूप भी ऐसा ही होता है. हालांकि महिला नागा साधु निर्वस्त्र नहीं रहती हैं.
क्या महिला नागा साधु रहती हैं निर्वस्त्र?
पुरुषों की तरह महिलाएं भी नागा साधु होती हैं लेकिन वो निर्वस्त्र नहीं रहती हैं. महिला नागा साधु अपने शरीर पर गेरुएं रंग का सिर्फ एक ही वस्त्र धारण करती हैं. इस वस्त्र को गंती कहा जाता है और ये सिला हुआ नहीं होता है. महिला नागा साधु भी अपने शरीर पर धुनी लगाती है और माथे पर हमेशा एक तिलक धारण करती हैं. महिला नागा साधुओं को अन्य साध्विया माता कहकर बुलाती है. इसके अलावा इन्हें नागिन, अवधूतानी कहकर भी संबोधित किया जाता है. पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी भगवान शिव को पूरी तरह समर्पित होती है और हर समय भक्ति में लीन रहती हैं.
जानिए कितनी कठिन जिंदगी जीती हैं महिला नागा साधु
महिला नागा साधु बनने के लिए इन्हें कठोर परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है. इसके लिए इन्हें 6-12 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना होता है. इसके बाद जब ये पूरी तरह खुद को भगवान के चरणों में सपर्पित कर देती हैं इसके बाद ही गुरु उन्हे नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं. नागा साधु बनने के लिए उन्हें खुद अपनी जीते-जी पिंडदान करना होता है. इसके बाद उनके सिर का मुंडन किया जाता है और फिर स्नान के बाद विधि-विधान के साथ महिलाओं को नागा साधु बनाया जाता है.
महिला नागा साधुओं की जिंदगी बेहद कठिन और रहस्यमयी होती है. ये हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं, इनकी सुबह ईश्वर की उपासना से शुरू होती है और दिनभर इन्हें भगवान की भक्ति करनी होती है. सुबह जागने से लेकर रात तक ये पूजा-पाठ करती रहती हैं.