मुसलमानों का BJP और RSS से क्यों है मतभेद? मौलाना महमूद मदनी ने बताई ये वजह
Maulana Mahmood Madani Statement: मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस और भाजपा से सिर्फ विचारधारा को लेकर 'मतभेद है, न कि मनभेद है'.
Mahmood Madani on BJP And RSS: भारत के 'इस्लाम की जन्मस्थली' होने का दावा करते हुए प्रतिष्ठित मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि अल्लाह के पहले पैगम्बर का जन्म यहीं हुआ था और यह 'मुसलमानों का पहला वतन' है. मदनी ने साथ में यह भी कहा कि यह देश जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत का, उतना ही उनका भी है.
महमूद मदनी ने यह दावा भी किया कि देश में पिछले कुछ सालों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और सरकार व प्रशासन को जिस तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी, नहीं की. उन्होंने कहा, इस तरह की घटनाओं के खिलाफ ''हम आवाज़ भी उठाएंगे और लड़ाई भी लड़ेंगे.'' मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व बहुसंख्यकों से कोई धार्मिक या नस्ली द्वेष नहीं है. उन्होंने देश को महाशक्ति बनाने के लिए संघ प्रमुख भागवत को 'आपसी बैर और दुश्मनी' को भुलाकर एक-दूसरे से 'गले मिलने' का न्योता दिया. मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस और भाजपा से सिर्फ विचारधारा को लेकर 'मतभेद है, न कि मनभेद है'.
यह मुलसमानों का पहला वतन है- मदनी
मदनी ने कहा, ''इस मुल्क की आबादी कम से कम 140 करोड़ है. यह लाखों वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. बेशुमार तहज़ीबें (संस्कृति), ज़बानें (भाषाएं), खान पान के तरीके और सोचने के अंदाज़ अलग-अलग होने के बावजूद यह मुल्क जुड़ा हुआ है और एक साथ है. इसमें मुसलमानों का बड़ा किरदार है.'' मदनी ने कहा, ''इस धरती की खासियत यह है कि खुदा के सबसे पहले पैगम्बर अबुल बशर सैयदना आदम अलैहिस्सलाम की यह सरज़मीन है. यह धरती इस्लाम की जन्मस्थली है. यह मुलसमानों का पहला वतन है. इसलिए यह कहना कि इस्लाम बाहर से आया हुआ कोई मज़हब है, सरासर गलत है और ऐतिहासिक आधार पर बेबुनियाद है.'' उन्होंने कहा, ''इसलिए मैं साफ तौर से कहता हूं भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी (धार्मिक) दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.''
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जमीयत प्रमुख ने कहा, ''यह देश जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का है, उतना ही यह महमूद का भी है. महमूद ना तो एक इंच आगे है, ना पीछे है और वे भी महमूद से एक इंच आगे नहीं हैं.''