UP News: यूपी में बुंदेलखंड (Bundelkhand) का महोबा (Mahoba) जिला भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है. ग्रामीण बूंद, बूंद पानी को तरस रहे हैं. इस इलाके में पानी का टैंकर आते ही ग्रामीण उस पर टूट पड़ते हैं और पहले से खाली ड्रम लेकर खड़े ग्रामीण पानी के टैंकर में कब्जा कर लेते हैं. टैंकर से पानी लूटने की होड़ मच जाती है.


क्या है हालत
पानी का टैंकर आते ही पहले से खाली ड्रम और रबर पाइप लिये ग्रामीण टैंकर के ऊपर चढ़ जाते हैं. इसके बाद पानी में रबर पाइप डाल कर ड्रमों में पानी भरने के लिये मारा मारी कर के हालत बन जाती है. इस इलाके के लोगों का कहना है कि पेजयल समस्या कोई नई नहीं है, पर इसका समाधान नहीं हो पा रहा. कबरई कस्बा में पानी को लेकर हाहाकर मचा है. 40 हजार की आबादी की प्यास बुझाने के लिए नगर पंचायत तीन टैंकरों से आपूर्ति करा रहा है, जो ऊंट के मुंह मे जीरा के समान है. मोहल्लों में टैंकर पहुंचते ही लोग पानी के लिए टूट पड़ते हैं. जिससे किसी को एक तो किसी को दो डिब्बा ही पानी नसीब हो पाता है.


कितनी है आबादी
गर्मी शुरू होते ही पूरे महोबा जिले में ही पीने के पानी की भारी किल्लत शुरू हो जाती है. जिससे सब से भीषण समस्या कबरई कस्बा और आस पास के ग्रामीण इलाकों में है. कबरई कस्बा के हालात बदसे बदतर है. 40 हजार की आबादी वाले इस कबरई कस्बे में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. प्रशासन इस नगर में टैंकरों से पानी सप्लाई करवा रहा है, पर पानी के लिये परेशान लोग पानी का टैंकर आते ही उस पर कब्जा कर पानी लूटने की होड़ मचा देते हैं.


क्यों है ये समस्या
कबरई वासियों की प्यास बुझाने के लिए दो साल पहले कलशाह बाबा धाम में पानी की टंकी के निर्माण को लेकर शिलान्यास किया गया था. लेकिन अभी तक फाउंडेशन ही बन पाया है. कस्बे के गांधी नगर, शास्त्री नगर, जवाहर नगर, सुभाष नगर और आजाद नगर में जल संस्थान द्वारा पाइप लाइन के माध्यम से आपूर्ति कराई जाती है. लेकिन माह में दो से 3 दिन ही पानी आता है. जिससे कस्बा वासी टैंकर के भरोसे हैं. कबरई नगर पंचायत कस्बे में तीन टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति करा रहा है. मोहल्लों में टैंकर के इंतजार में घंटों पहले से लोग ड्रम, प्लास्टिक के पाइप, पानी के डिब्बे लेकर इंतजार करने लगते हैं. जैसे ही टैंकर आता हैं पहले पानी भरने के लिए मारामारी मच जाती है. कस्बे के व्यापारियों व अन्य लोगों ने कई बार इस बाबत जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई, मगर नतीजा आज भी सिफर है.


क्या बोले मंत्री
बुंदेलखंड में पीने के पानी का संकट आदि काल से चला आ रहा है. इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत "हर घर नल" योजना शुरू की है. जिससे हर घर में लोगों को नल के द्वारा पीने का पानी मिल सके. पर हजारों करोड़ की इस योजना के बाद भी इस इलाके के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. जब इस भीषण जल संकट के बारे में हमने प्रदेश के जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेष निषाद से बात की, तो उनका कहना था कि पानी कि इसी समस्या के निदान के लिये अधिकारियों से चर्चा की जा रही है. इसके निस्तारण के लिए समीक्षा में अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. जिन क्षेत्रों में पानी की समस्या है वहां पानी कैसे पहुंचाया जाए. पेजयल संकट कैसे दूर किया जाए. इस पर भी कार्ययोजना बनाकर 100 दिन के भीतर कार्य को पूरा कर पेयजल को सुनिश्चित कराएंगे.


क्या है कहावत
बुंदेलखंड में पीने के पानी के लिये हमेशा से खून बहता रहा है. इस इलाके में पानी को लेकर कई कहावते भी मशहूर हैं. जैसे कि बुन्देलखण्ड की यही कहानी, ना पेट को पानी, ना खेत को पानी और भौरा तेरा पानी गजब कर जाये, गागर ना फूटे चाहे खसम मर जाये. कभी बुंदेलखंड के पानी में "आग" हुआ करती थी. जिस पर किसी ने लिखा था कि बुंदेलों की सुनों कहानी, बुंदेली वाणी में, पानीदार यहां का पानी, आग यहां के पानी में, पर अफसोस कि आज बुंदेले बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं.


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