Mahoba News: महोबा में 6 साल पहले सपा-बसपा के बीच खूनी संघर्ष में फैसला, पूर्व मंत्री के बेटे को उम्रकैद, जानें मामला
Mahoba News: साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में महोबा सदर सीट वोटिंग से पहले शाम को ये खूनी संघर्ष देखने को मिला था, जिसमें एक निर्दलीय उम्मीदवार की मौत हो गई थी.
Mahoba News: यूपी की महोबा कोर्ट ने छह साल पहले सपा-बसपा के बीच हुए खूनी संघर्ष मामले में पूर्व मंत्री के बेटे को आजीवन कारावास और पूर्व विधायक के बेटे को दस साल की सजा सुनाई है. जबकि 11 आरोपी को बरी कर दिया है. ये मामला साल 2017 विधानसभा चुनाव का है जब महोबा सदर सीट पर सपा-बसपा के बीच खूनी संघर्ष में निर्दलीय प्रत्याशी की मौत हो गई थी और सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री के बेटे व समर्थक को गोली लग गई थी.
महोबा कोर्ट ने इस मामले में घटना के छह साल बाद फैसले में पूर्व मंत्री के पुत्र को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व पूर्व विधायक के पुत्र को हत्या के प्रयास का दोषी मानते हुए 10 वर्ष के कारावास सहित अर्थदंड की सजा सुनाई है जबकि इसी मामले के 11 आरोपियों का दोष सिद्ध न होने पर उन्हें बरी कर दिया गया है. हाई प्रोफाइल मामले के फैसले के चलते कोर्ट में खासी गहमा-गहमी रही. सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल को भी कोर्ट परिसर में तैनात किया गया था.
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में महोबा सदर सीट वोटिंग से पहले शाम को ये खूनी संघर्ष देखने को मिला था. शासकीय अधिवक्ता दिनेश सिंह ने बताया कि चुनाव प्रचार को लेकर सपा-बसपा समर्थक भिड़ गए थे. जिसमें दोनो पक्षों में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई. इस खूनी संघर्ष में निर्दलीय प्रत्याशी राकेश लाला सिंह की मौत हो गईं थीं और सपा प्रत्याशी सिद्ध गोपाल साहू के बेटे साकेत साहू और एक समर्थक अब्दुल तारिक को गोली लगी थी. इस मामले में दोनो पक्षों की तरफ से कुल 13 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था.
छह साल बाद आया फ़ैसला
करीब छह साल तक चले मुकदमे के बाद शासकीय अधिवक्ताओं की दलीलों और अभियोजन पक्ष और पुलिस की पैरवी में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम दस्यु प्रभावित क्षेत्र राजीव पालीवाल ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए दोनों पक्षों के 11 लोगों को निर्दोष करार दिया. जबकि पूर्व मंत्री सिद्ध गोपाल साहू के पुत्र साकेत को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कठोर कारावास और 25 हज़ार के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है. वहीं पूर्व विधायक अरिमर्दन सिंह के पुत्र अनुरुद्ध प्रताप सिंह को हत्या के प्रयास का दोषी पाते हुए धारा 307 के तहत 10 साल की सज़ा सुनाई हैं.
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