Mahoba News: यूपी के महोबा (Mahoba) में सरकारी अस्पताल में महंगा इलाज होने पर विकलांग दंपत्ति ने थाने में तहरीर दी और कार्रवाई न होने से आहत तहसील दिवस में डीएम से शिकायत की है. महोबा की स्वास्थ्य प्रणाली में कमीशनखोरी इस कदर हावी दिखाई दे रही है कि इलाज के नाम पर सरकारी अस्पताल में खुलेआम बाहर की दवा लिखने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शारीरिक रूप से विकलांग गरीब दंपत्ति ने जबरन बाहर की दवा लिखकर मानसिक और आर्थिक परेशान किए जाने की शिकायत थाने में की, जिसके बाद डीएम ने सीएमओ को पूरे मामले में जांच और कार्रवाई के लिए निर्देशित किया.


महोबा में सरकारी अस्पतालों में आए दिन निर्देशों की ना केवल अवहेलना हो रही है बल्कि नियमों के विपरीत कमीशनखोरी के लिए बाहर की दवाएं लिखे जाने का सिलसिला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. दऱअसल, मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कबरई का है जहां पर शारीरिक रूप से विकलांग दंपत्ति का आर्थिक और मानसिक शोषण किया गया है. बताया जा रहा है कि कबरई कस्बे के विशाल नगर इलाके में रहने वाला दिव्यांग भरत साहू बीते रोज अपनी विकलांग गर्भवती पत्नी डोली के पेट दर्द होने पर इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कबरई लेकर पहुंचा था. 


क्या है पूरा मामला?
भरत साहू ने बताया कि उसकी पत्नी डोली लगभग 8 महीने की गर्भवती है, जिसे साधारण पेट दर्द होने पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गयाय आरोप है कि मौजूद महिला डॉक्टर ने पत्नी का चेकअप करने के बाद बाहर के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए पर्चा बना दिया. 15 सौ रूपये कीमत की दवा का पर्चा बनाये जाने पर गरीब के होश उड़ गए. आर्थिक तंगी के कारण सभी दवाइयां खरीदने में असमर्थ होकर उसने डॉक्टर से अपनी मजबूरी बताई. आरोप है कि महिला डॉक्टर ने अस्पताल में दवा न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. पीड़ित गरीबी के चलते 15 सौं रुपए की दवाइयां नहीं ले सका और वहां मानसिक और आर्थिक परेशानी झेलने के लिए मजबूर हो गया.


पीड़ित ने बताया कि उसने सरकारी अस्पताल की इस कमीशन खोरी को लेकर थाने का दरवाजा खटखटाया है. सरकारी अस्पताल में महंगा इलाज होने पर उसने थाने में तहरीर दे दी और पूरे मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की है. मगर थाने में दी गई शिकायत पर कोई कार्यवाही न होने पर पीड़ित दिव्यांग अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर तहसील दिवस में डीएम से शिकायत करने पहुंचा है. पीड़ित ने बताया कि सरकारी अस्पताल कमीशनखोरी के चलते अधिकतर बाहर की दवाई लेकर गरीबों के साथ आर्थिक शोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह खुद और उसकी पत्नी शारीरिक रूप से विकलांग है और सरकार के फ्री इलाज के लिए ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कबरई आए थे. उन्हें उम्मीद थी कि सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ-साथ तैनात डॉक्टरों का अच्छा बर्ताव देखने को मिलेगा लेकिन यहां तो उनके साथ उल्टा हो रहा है.


डीएम ने दिए जांच के निर्देश 
जिलाधिकारी मनोज कुमार ने मामले में गंभीरता लेते हुए सीएमओ डॉ. डीके गर्ग को जांच और कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है जिसको लेकर सीएमओ डॉ. डीके गर्ग ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कबरई में महिला मरीज को बाहर की दवा लिखने का आरोप महिला डॉक्टर पर लगा है, यह गंभीर मामला है. इसको लेकर मौके पर जाकर जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.


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