झांसी की घटना के बाद भी नहीं टूटी महोबा प्रशासन की नींद, जिला अस्पताल की फायर सेफ्टी व्यवस्था में खामियां
UP News: झांसी की घटना के बाद उत्तर प्रदेश की अन्य सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़े होने लगे हैं. महोबा जिला अस्पताल में फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं में कई खामियां सामने आईं.
Mahoba News: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वॉर्ड में हुए दर्दनाक हादसे में 10 नवजात शिशुओं की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस घटना के बाद सरकारी अस्पतालों की फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं. महोबा जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया गया तो फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं में कई चौंकाने वाली खामियां सामने आईं. अस्पताल के किसी भी वार्ड में आपातकालीन दरवाज़ा, खिड़की ने होने की स्थिति में भर्ती मरीजों को कैसे बाहर निकाला जाएगा यहीं नहीं वार्ड में लगे फायर सेफ्टी सिस्टम का कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है.
महोबा जिला अस्पताल 70 बेड का अस्पताल है. जहां हजारों की संख्या में हर दिन मरीज और उनके तीमारदार अपना इलाज कराने के लिए आते हैं लेकिन जिस तरीके से अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम की व्यवस्था की गई है वह हैरान कर देने वाली है. जिला अस्पताल में किसी भी वार्ड में आपातकालीन खिड़की नहीं है, जिससे आपात स्थिति में मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. वहीं अस्पताल में आग बुझाने के लिए लगाए गए फायर सेफ्टी पाइपलाइन सिस्टम का काम अभी भी अधूरा पड़ा है. अस्पताल की सुरंगनुमा संरचना में अग्निशमन यंत्र तो लगे हुए हैं, लेकिन फायर सेफ्टी की दृष्टि से इसे अधूरा और असुरक्षित माना जा सकता है.
आपातकालीन निकास के सवाल से बचते नजर आए अधिकारी
प्रभारी सीएमएस डॉक्टर राजेश भट्ट ने बताया कि यहां रोजाना ओपीडी में 700 से 1000 मरीज इलाज कराने आते हैं, और इमरजेंसी में 100 से 150 मरीजों की भीड़ रहती है. आपातकालीन स्थिति लेकर कहा कि फायर सेफ्टी मानक के अनुसार सभी जगह दोनों टाइप के एबीसी और कार्बन डाइऑक्साइड के सिलेंडर लगे हुए है. फायर सेफ्टी पाइपलाइन का कार्य भी प्रोग्रेस में है. पूरे जिला अस्पताल में 140 सिलेंडर लगे हुए है. मगर जब उनसे आपातकालीन निकास के बारे में पूछा गया तो वो गोलमोल जवाब देते नजर आए.
उन्होंने कहा कि, जहां इमरजेंसी डोर है वहां लोगो को समझा दिया गया है और बाकी निरीक्षण कर कमियों को दूर कर रहे है. अग्निशमन सुरक्षा को लेकर मॉकड्रिल पर कहा कि ये काम फायर बिग्रेड विभाग का है. बीते तीन माह पूर्व जिला अस्पताल में मॉकड्रिल किया गया था. अग्निशमन यंत्रों में एक्सपायरी डेट न लिखे होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी पर लिखा गया है जिसमें नहीं लिखा उसे रिफिल कर लिखाया जायेगा.
वहीं वार्ड में लगाया गया फायर सेफ्टी पाइपलाइन का कार्य भी अधूरा है जिससे अंदाजा लगाना काफी है कि जिला अस्पताल आपातकालीन अग्निकांडों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. महोबा जिला अस्पताल में फायर सेफ्टी में कमी, मरीजों की जान के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है. जब इस बाबत हमने मरीजों से बात की तो वह भी झांसी के घटना क्रम के बाद से भयभीत है.
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