Mahoba News Today: कहावत है कि अगर अपने लक्ष्य को पाने का लगन और जुनून है तो कोई शारीरिक कमजोरी उसकी सफलता के रास्ते आड़े नहीं आ सकती है. ऐसा ही कुछ महोबा में देखने को मिला, जहां दोनों हाथों से दिव्यांग युवक को स्नातक की परीक्षा देते देखकर सब दंग रह गए. परीक्षा केंद्र में मौजूद अध्यापक भी दिव्यांग के इस लगन, समर्पण और जुनून को देखकर तारीफ करते नहीं थक रहे थे. 


बता दें, महोबा जिले के अजनर थाना क्षेत्र के मगरिया गांव निवासी गणेश कुमार शारीरिक दिव्यांग हैं. हालांकि वे अपनी कमजोरी को मात देकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरे जज्बे और जुनून के साथ आगे बढ़ रहा हैं. वह अपनी मेहनत की वजह से दूसरे के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.


गणेश दोनों हाथों से हैं दिव्यांग
दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद गणेश अपनी पढ़ाई और परीक्षा में खुद लिखने का संकल्प लिया और उसे पूरा कर दिखाया. 22 वर्षीय गणेश कुमार के हाथ जन्म से ही कमजोर हैं. उनकी बनावट ऐसी है कि वे आसानी से पेन नहीं पकड़ सकते हैं. बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने आत्मविश्वास और मेहनत से यह साबित कर दिया कि दिव्यांगता उनको लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकती है.


गणेश कुमार शुरुआत में लिखने में काफी कठिनाई होती थी, लेकिन उनके हौसले और मेहनत ने उन्हें इस चुनौती से पार पाने में विजय दिलाई. गणेश वर्तमान में पूरनलाल महाविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं. वह कुलपहाड़ के श्रीकिशोर गोस्वामी महाविद्यालय में परीक्षा दे रहा हैं. जब गणेश ने खुद से अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखना शुरू किया तो वहां मौजूद शिक्षक और अन्य छात्र उनकी लगन और संकल्पशक्ति को देखकर हैरान रह गए. 


गणेश ने बताया कि उनकी कोशिश है कि वे उच्च शिक्षा प्राप्त करें और अपने जैसे अन्य दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें. उनका मानना है कि शारीरिक बाधाएं सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकतीं, अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.


'पढ़ने- सीखने की ललक मिसाली'
गणेश न केवल अपने परिवार और गांव के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं. श्रीकिशोर गोस्वामी महाविद्यालय के परीक्षा प्रभारी दिनेश कुमार बताते हैं कि जब छात्र गणेश परीक्षा देने आया तो उसकी लगन और मेहनत को देख सभी हैरत में पड़ गए, पढ़ाई के प्रति उनका जज्बा मिसाली है. अन्य छात्रों को गणेश से सीख लेने की आवश्यकता है.


एक अन्य अध्यापक आकाश मिश्रा बताते है कि दिव्यांग परीक्षार्थी गणेश बीए फाइनल ईयर के छात्र हैं, जिसे देखकर हम सब भी चौंक गए, लेकिन ये एक प्रेरणा देता है उन बच्चों को जो शिक्षा से दूर हो रहे है. दिव्यांग होते हुए भी गणेश अपनी मंजिल को पाने के लिए प्रयासरत है. उन्हें देखकर ये सीख मिलती है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए. सरकार को इनके लिए विशेष व्यवस्थाएं और योजनाएं चलाई जाए जिससे दिव्यांग बच्चों की प्रतिभाएं निखर कर समाने आ सकें.


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