Mahoba News: महोबा में प्रशासन के दावों की खुली पोल, लोग ठंड में खुले आसमान में रहने को मजबूर
UP News: महोबा में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर कई परिवार खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं. जमीन में बिस्तर बिछाकर रह रहे इन लोगों पर जिम्मेदार अधिकारियों की नजर तक नहीं जा रही.
Mahoba News: शीतलहर के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सड़कों पर बेसहारा और बेछत रह रहे लोगों को बेहतर व्यवस्थाएं करने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं, लेकिन महोबा में इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि महोबा के कई स्थानों पर खुले आसमान के नीचे लोग गुजर-बसर कर रहे हैं. यहां से गुजरने वाले जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भी इनकी तकलीफ नहीं दिखाई दे रही. गिरते पारे के बीच ठिठुरती जिंदगी को संवारने की जद्दोजहद करते तमाम परिवार मदद की आस लगाए बैठे हैं. गरीबों के लिए बनाए गए रैन बसेरे का लाभ इन गरीबों को मिलता नहीं दिखाई दें रहा है.
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश है कि शीतलहर में किसी भी बेघर और बेसहारा को परेशानी ना उठाना पड़े और इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है कि बेघर और बेसहारा खुले आसमान के नीचे रात ना गुजारे. इसके लिए अधिकारियों को सड़क पर निकलकर जमीनी हकीकत जानने के निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन महोबा में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर कई परिवार खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं. जमीन में बिस्तर बिछाकर रात गुजारने के लिए मजबूर हैं और जिम्मेदार अधिकारियों की इनपर नजर तक नहीं जा रही.
प्रशासन कर रहा है ये दावा
शीतलहर से बचाव को लेकर बेहतर इंतजाम के दावे प्रशासन कर रहा है. महोबा में आने वाले राहगीरों के अलावा बेघर और बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है. अधिकारियों की मानें तो महोबा में तीन अस्थाई रैन बसेरे बने हुए है. पालिका के टाउन हॉल में 100 बिस्तरों की व्यवस्था सहित रेलवे स्टेशन और रोडवेज परिसर में भी रैन बसेरा बनाया गया है. इसके अलावा डूडा विभाग द्वारा शेल्टर होम भी बना हुआ है. मगर इसका लाभ गरीब तबके के बेसहारा लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
एसडीएम जितेन्द्र कुमार की माने तो महोबा में रैन बसेरों का संचालन बेसहारा लोगों के लिए किया गया है. साथ ही गर्म कम्बल वितरण और जगह-जगह अलाव जलवाए जा रहे है और ठंड से बचाव को लेकर हर संभव प्रयास किये जा रहे है साथ ही तहसील की एक टीम भी गठित की गई है जा बेछत रात गुजार रहे है उनको सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें.
महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली शारदा अपने मासूम बच्चे ईशान को लेकर अन्य महिलाओं के साथ चटाई, पर्दे बेचने के लिए महोबा आई है. वह बताती है कि तकरीबन 12 महिलाएं हैं जो यहां पिछले 1 महीने से हैं. कहीं रुकने की कोई व्यवस्था और इंतजाम नहीं है यही वजह है कि चरखारी बाईपास सड़क किनारे जमीन पर बिस्तर बिछा कर रात गुजारने के लिए मजबूर हैं.
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