Mahoba News: पुलिस की मॉक ड्रिल में छोड़ी गई आंसू गैस बनी लोगों की मुसीबत, आंखों में जलन, सांस लेना मुश्किल हुआ
Mahoba News: महोबा पुलिस की मॉक ड्रिल में चले आंसू गैस के गोले स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गए. आंसू गैस का धुआं पास की कॉलोनी में घुस गया, जिससे लोग बुरी तरह खांसने लगे और आंखों में जलन होने लगी.
Mahoba News: महोबा पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड में बलवा ड्रिल अभ्यास के साथ मॉक ड्रिल करना पुलिस और प्रशासन के लिये उस वक्त मुसीबत बन गया जब अचानक आंसू गैस की चपेट में यहां नजदीक बनी कांशीराम कालोनी आ गई. आंसू गैस का असर इतना भयानक था कि कांशीराम कालोनी के तकरीबन 400 परिवार के लोगों का खांस-खांस कर दम घुटने लगा और उनकी आंखों में जलन होने लगी. मामले की नज़ाकत को देखते हुए डीएम ने डॉक्टरों की टीम सहित दो एम्बुलेंस और फायर बिग्रेड टीम को यहां भेजा. जिसके बाद यहां पेड़ों और इमारतों पर पानी का छिड़काव किया गया.
पुलिस की मॉक ड्रिल में लापरवाही
दरअसल हुआ ये कि महोबा जिले में सभी थानाध्यक्षों और प्रमुख पुलिस कर्मियों को मुख्यालय के पुलिस लाइन मैदान में बलवा मॉक ड्रिल की रिहर्सल की जा रही थी. इस दौरान मौके पर डीएम और एसपी भी मौजूद थे. इस ड्रिल में पुलिस कर्मियों को बलवाइयों को रोकने के गुर सिखाए जा रहे थे ताकि पुलिस चुस्त दुरुस्त व हर हालात से निपटने के लिए तैयार हो सके. इसी दौरान पथराव और उपद्रव को रोकाने के लिए ही आंसू गैस के गोले का प्रयोग भी किया गया. इस मॉक ड्रिल के बाद सभी अधिकारी पुलिस लाइन से चले गए, लेकिन थोड़ी ही देर बार आंसू गैस का असर नजदीक बनी कांशीराम बस्ती में दिखाई देना शुरू हो गया.
आंसू गैस से लोगों का बुरा हाल
आंसू गैस का धुआं हवा के साथ नजदीक की कालोनी की ओर बढ़ गया. जिसके बाद यहां रह रहे बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी खांसने लगे और उनकी आंखों में जलन होने लगी. गैस का धुआं इतना भयंकर था कि बड़ी संख्या में इसका असर यहां के लोगों पर देखने को मिला. उनकी आँख, नाक और मुँह में जलन होने लगी. स्थानीय लोगों को इस मॉक ड्रिल की जानकारी नहीं थी. इसके बाद जब पुलिस को इसके बारे में पता चला तो प्रशासन सकते में आ गया. डीएम के आदेश पर फौरन डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस को वहां रवाना किया गया और लोगों को राहत मुहैया कराई गई.
आसपास के इलाके में पानी का छिड़काव
इसके बाद मौके पर फौरन फायर ब्रिगेड की टीम भी पहुंची और आसपास के इलाकों पर पानी से छिड़काव किया गया और लोगों को माइक लगाकर आंसू गैस से बचने के उपाय भी बताए गए. इस बारे में जानकारी देते हुए डीएम जितेन्द्र कुमार ने बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान जिन आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया उसकी चपेट में यहां रह रहे करीब 400 परिवार आ गए. इस घटना की खबर मिलते है फौरन लोगों को राहत पहुंचाई गई और इलाके में पानी का छिड़काव किया गया.
इस लापरवाही का जिम्मेदारी कौन
इस घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि किसकी गलती की वजह से लोगों को इतनी परेशानी का सामना करना पड़ा. ये आंसू गैस के गोले कितने पुराने थे और इनसे इतनी भयंकर गैस का कैसे फैलाव हो गया कि आधा किलोमीटर का एरिया इसकी जद में आ गया. मॉक ड्रिल के पहले प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए थे.