Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र का महापर्व शुरू हो चुका है. मगर बुंदेलखंड के महोबा में एक गांव ऐसा है, जिसने इस महापर्व में शामिल होने से ही इनकार कर दिया. गांव में 5 दशक से पक्की सड़क का निर्माण ना हो पाने के कारण नाराज ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर दिए हैं. गांव में जगह-जगह पोस्टर लगाकर ग्रामीणों ने अपना आक्रोश जताया है तो वहीं अधिकारियों को भी एक प्रार्थना पत्र भेजकर अपनी मंशा को जाहिर कर दिया.
ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाकर शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों को लेकर भी खासी नाराजगी देखने को मिली है. जबकि अधिकारी ग्रामीणों को समझकर चुनाव में सहभागिता की अपील कर रहे है.पंक्ति के आखिरी व्यक्ति तक विकास पहुंचने के दावों की हकीकत चुनाव में देखने को मिल रही है. जहां महोबा जनपद के कुलपहाड़ तहसील में आने वाले ग्राम सीगौन में 5 दशक में एक सड़क तक ग्रामीणों को नसीब नहीं हो पाई.
रोड़ नहीं तो वोट नहीं
मूलभूत सुविधाओं की बात करें तो गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है. उस पर गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क न होने से कोढ़ में खाज की स्थिति ग्रामीणों में बनी है. इसी बात से आहत ग्रामीण लोकतंत्र के इस महापर्व का बहिष्कार कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अपने गांव में जगह-जगह बैनर पोस्टर लगा दिए हैं और ऐलान कर दिया है कि जब तक गांव में रोड नहीं बन जाता तब तक कोई भी वोट नहीं करेगा.
यहां रहने वाले ग्रामीण साफ तौर पर बताते हैं कि कई बार इस बाबत वर्तमान सांसद से लेकर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कच्ची पड़ी सड़क के बारे में बताया गया लेकिन आज तक समस्या का निदान नहीं हो पाया. जबकि वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रही उमा भारती ने भी इस क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था और वादा किया था कि जीत के बाद सड़क बना कर देंगे. लेकिन वह भी अपनी जीत होने के बाद न तो इस गांव में आई और न ही सड़क बनी. ऐसे में ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट पड़ा और अब ग्रामीण चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं. बताया जाता है कि गांव की आबादी तकरीबन 5000 है और 2000 यहां मतदाता है.
निवार्चन अधिकारी ने ग्रामीण को समझाया
लोकतंत्र के इस महापर्व में यह मतदाता अपने मत का प्रयोग न करने की ठान चुके हैं. वहीं इस मामले को लेकर उप जिला निर्वाचन अधिकारी राम प्रकाश बताते हैं कि ग्रामीणों की समस्या के सामने आने पर उनसे बात की जा रही है और उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि वह अपने मत का प्रयोग कर अपनी पसंद की सरकार को चुने ताकि उनके गांव का विकास हो सके और उम्मीद है कि ग्रामीणों को समझा लिया जाएगा.
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