Mahoba Crime News: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) गरीबों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं (Free Health Facilities) देने के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है. लेकिन सरकार की मंशा बुंदेलखंड के महोबा (Mahoba) में पूरी होती नजर नहीं आ रही है. जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए लाखों रुपया पानी की तरह बहा दिया गया और लाखों कीमत की अल्ट्रासाउंड मशीन यहां लगाई गई लेकिन इन मशीनों का लाभ यहां आने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा. अस्पताल में तैनात डॉक्टर और स्टॉफ खुलेआम मरीजों को जांच कराने के लिए प्राइवेट अल्ट्रासाउंड और डायग्नोस्टिक सेंटर में मरीजों को भेज रहे हैं. जहां मरीजों को अधिक पैसा देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.


फ्री स्वास्थ्य सेवा के दावे फेल
अस्पताल में सक्रिय रहने वाले दलालों की मदद से इन प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाभ पहुंचाने का काम स्वास्थ्य विभाग में तैनात कर्मचारी कर रहे हैं. जिस पर ना तो कोई कार्यवाही हो रही है और ना ही कोई सख्ती बरती जा रही है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर और निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं के दावें पूरी तरीके से खोखले साबित हो रहे हैं. महिला जिला अस्पताल की बात करें तो लाखों रुपए की अल्ट्रासाउंड मशीनें धूल फांक रही हैं.


रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती न होने से अस्पताल आने वाली गर्भवती और पेट की बीमारी से संबंधित महिलाओं को 500 से ₹600 देकर बाहर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. बात यहीं खत्म नहीं हो जाती अस्पताल में तैनात डॉक्टरों द्वारा खुलेआम बाहर की जांच के साथ-साथ बाहर की दवाएं भी लिखी जा रही है.


लाखों की मशीन फांक रही धूल
करीब 2 साल पहले महिला अस्पताल के नए भवन बनने के बाद इसका संचालन हुआ लेकिन मरीजों और गर्भवती महिलाओं को अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा. महिला अस्पताल में रखी अल्ट्रासाउंड मशीन तकरीबन 12 लाख रुपए कीमत की है. जिसका लाभ गर्भवती महिला मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. सिर्फ अस्पताल के बाहर बड़ी तादाद में खुले प्राइवेट अल्ट्रासाउंड और डायग्नोस्टिक सेंटरों को लाभ पहुंचाने के लिए सांठगांठ का खेल खेला जा रहा है. महिला अस्पताल के बाहर ही बड़ी संख्या में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हैं और प्रत्येक गर्भवती महिला को डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की जांच लिख रहे हैं. जिससे उन्हें बाहर से जांच करानी पड़ रही है.


गरीब महिलाओं को हो रही समस्या
सबसे बड़ी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली गरीब महिलाओं को  हो रही है. जिनके पास पैसों का कोई इंतजाम नहीं है. गरीब और मजदूर तबके के लोगों को सरकार की करनी और कथनी पर अंतर दिखाई दे रहा है. तो वहीं उनके साथ स्वास्थ्य के नाम पर हो रही खुली लूट उन्हें गवारा नहीं है. अपने बच्चे का इलाज कराने पहुंचा दयाराम बताता है कि उसके पुत्र के पेट में दर्द था डॉक्टर ने बाहर से अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जिससे मजबूरन उसे प्राइवेट सेंटर में ₹600 देकर अपने बच्चे का अल्ट्रासाउंड कराना पड़ा.


यही नहीं तैनात डॉक्टर ने उसे बाहर की जांच के साथ-साथ बाहर की दवाओं का परचा भी थमा दिया जिससे मजबूर होकर उसे बाहर की दवाई लेनी पड़ी. उसका कहना है कि वह मजदूरी पेशा व्यक्ति है ऐसे में वह निशुल्क इलाज की आस लेकर अस्पताल आया था लेकिन उसे बाहर जांच कराना पड़ा.


CMO ने कहा– होगी कड़ी कार्रवाई
वहीं इस मामले में सीएमओ डॉ डी० के० गर्ग बताते हैं कि वह जनपद में अभी नए आए हैं. उन्हें जानकारी मिली है कि जनपद में 14 अल्ट्रासाउंड सेंटर खुले हुए हैं. इन अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर नजर रखने के लिए एक टीम भी गठित की गई है. जिसका नोडल एसीएमओ डॉ डीके चौहान को बनाया गया है. तो वहीँ शासन की तरफ से नायब तहसीलदार टीम में शामिल है.


उन्होंने बताया दोनों अधिकारीयों ने मिलकर बीते दिनों 5 अल्ट्रासाउंड सेंटरों में पहुंचकर उनकी जांच की जिसमें 4 पॉइंट्स को लेकर जांच की जा रही है. अल्ट्रासाउंड सेंटर में भ्रूण परीक्षण ना हो. इस पर नजर रखी जा रही है वही इन अल्ट्रासाउंड सेंटरों में एक रजिस्टर्ड रेडियोलॉजिस्ट ही काम करें. ये सबसे अहम है. जब उनसे सवाल किया गया की प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटरों में कितने रेडियोलॉजिस्ट काम कर रहे हैं तो वो जबाब को टाल गए. वहीँ इसको लेकर जांच कर जहां अल्ट्रासॉउन्ड सेंटरों रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती न पाए जाने पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.


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