प्रयागराज: भ्रष्टाचार में शामिल होने और व्यापारी को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपों में फंसे महोबा के निलंबित एसपी आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाटीदार की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किए जाने और गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की मांग की थी. पाटीदार ने अपनी तरफ से कई नामी वकीलों की फ़ौज खड़ी की थी.


अर्जी खारिज होने के बाद मणिलाल पाटीदार की बढ़ी मुश्किलें


पाटीदार के वकीलों ने बचाव में कई दलीलें दीं. पाटीदार को बेगुनाह बताया गया. उन्हें साजिश के तहत फंसाए जाने की बात कही गई. दलील यह भी दी गई कि एसआईटी ने हत्या के आरोपों पर उन्हें क्लीन चिट दे दी है. हालांकि कोर्ट कोर्ट किसी भी दलील से संतुष्ट नहीं हुई और उसने पाटीदार को किसी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच ने मणिलाल पाटीदार को यह छूट ज़रूर दी है कि वह चाहें तो अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं. हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद आईपीएस मणिलाल पाटीदार की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं. उन पर गिरफ्तारी का ख़तरा और बढ़ गया है.


 उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है पुलिस


गौरतलब है कि महोबा के एसपी रहे आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार पर वहीं के एक व्यापारी ने भ्रष्टाचार में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था. बाद में इस व्यापारी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. पाटीदार के खिलाफ पहले हत्या का केस दर्ज हुआ था, बाद में धाराओं को आत्महत्या के लिए उकसाने में बदल दिया गया था. पाटीदार फिलहाल फरार हैं. पुलिस उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है और साथ ही उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हो चुका है.



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