समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने मैनपुरी उपचुनाव (Manpuri By election) के लिए डिंपल यादव (Dimpal Yadav) को मैदान में उतारा है. डिंपल सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी हैं. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन की वजह से यह चुनाव कराया जा रहा है. मैनपुरी मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ रहा है. वो मनपुरी से चार बार लोकसभा के लिए चुने गए थे.ल यादव की उम्मीदवारी से किसी को आश्चर्य नहीं हुआ है, लेकिन शिवपाल यादव को झटका जरूर लगा है. वो मैनपुरी से लोकसभा का उपचुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उनकी विधानसभा सीट जसवंतनगर मैनपुरी लोससभा क्षेत्र में ही आती है. 


डिंपल यादव का राजनीतिक सफर


डिंपल यादव दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं. वो दो लोकसभा का चुनाव हार भी चुकी हैं. उन्होंने लोकसभा में कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार वो 2012 में तब लोकसभा पहुंची जब अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. उनका निर्विरोध निर्वाचन इसलिए हो पाया था कि क्योंकि बसपा-कांग्रेस ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. वहीं बीजेपी उम्मीदवार अपना सिंबल नहीं जमा कर पाया था और दो निर्दलियों ने अपना पर्चा वापस ले लिया था. लो 2014 में कन्नौज से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. वहीं उन्हें फिरोजाबाद सीट पर कराए गए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. वो 2019 का लोकसभा चुनाव भी कन्नौज से हार गई थीं. 


अब डिंपल यादव एक बार फिर तीन साल बाद राजनीति के मैदान पर वापसी कर रही हैं. सपा मैनपुरी उपचुनाव के लिए धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव और डिंपल यादव के नामों पर विचार कर रही थी. मैनपुरी से धर्में8
यादव 2004 और तेज प्रताप यादव 2014 का उपचुनाव जीत चुके हैं. लेकिन सपा नेतृत्व ने डिंपल यादव के नाम पर मुहर लगाई. इस पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. धर्मेंद्र यादव अभी कुछ महीने पहले हुआ आजमगढ़ लोकसभा का उपचुनाव हार गए थे. इसलिए उनकी दावेदारी थोड़ी कमजोर पड़ गई. वहीं डिंपल यादव 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद से किसी सदन की सदस्य नहीं हैं. इस साल हुए विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर के प्रचार में डिंपल यादव ने जमकर प्रचार किया था. इसका सपा को बहुत अधिक फायदा हुआ था. अधिकांश सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की थी. इस वजह से भी सपा ने डिंपल पर ज्यादा भरोसा जताया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी होना तो एक कारण है ही.


डिंपल यादव के जीतनी की कितनी संभावना हैं


मैनपुरी में जीतने में डिंपल को दिक्कत नहीं आनी चाहिए, क्योंकि एक तो उन्हें नेता जी की मौत से पैदा हुई सहानुभूति का फायदा मिलेगा और दूसरा यह कि मैनपुरी सपा का गढ़ है. मैनपुरी में पिछले सात चुनाव सपा ने जीते हैं. इनमें से छह बार यह सीट मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने ही जीती है. चार बार तो अकेले मुलायम सिंह यादव ने ही इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. मैनपुरी लोकसभा सीट पर पांच दिसंबर को मतदान कराया जाएगा. मतगणना आठ दिसंबर को कराई जाएगी.


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