UP News: मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन से खाली हुई मैनपुरी (Mainpuri) लोकसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार कौन बनेगा? इसको लेकर उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) का नाम चर्चा में आ गया है. ऐसी संभावना है कि सपा के गढ़ को भेदने के लिए 'यादव परिवार' की सदस्य को ही बीजेपी मैनपुर लोकसभा उपचुनाव में उतार सकती है. अपर्णा यूपी विधानसभा से ठीक पहले सपा का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं. 


इस बार अलग होगी बीजेपी की रणनीति


बीजेपी ने इसी साल वर्षों से सपा के गढ़ रहे आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट अपने नाम किया और इस जीत से उत्साहित बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मैनपुरी के लिए ऐसी रणनीति बनाना चाहता है कि उसे भी अपने पाले में किया जा सके. वहीं अगर इस सीट पर सपा के दबदबे की बात करें तो मुलायम सिंह यादव परिवार के तीन सदस्य इस सीट से 6 बार सांसद चुने जा चुके हैं. मुलायम सिंह चार बार, भतीजे धर्मेंद्र यादव एक बार और पोते तेज प्रताप यादव एक बार सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं. ऐसा देखने में आया कि जब मुलायम सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा बीजेपी के किसी भी बड़े नेता ने यहां प्रचार नहीं किया. लेकिन इस बार परिस्थिति अलग है और इसलिए बीजेपी की रणनीति भी अलग होगी. बीजेपी के कई नेता चुनाव से पहले ही इस सीट पर जीत का दावा कर चुके हैं. 


यादव बिरादरी के वोट लेने के लिए अपर्णा बनाई जाएंगी उम्मीदवार?


भारत की चुनावी राजनीति में जातिगत समीकरण की अहम भूमिका रहती है. संबंधित क्षेत्र में मतदाताओं के जातिगत आंकड़े देखते हुए भी पार्टियां रणनीति तय करती हैं. अब अगर मैनपुरी सीट की बात करें तो यहां सबसे अधिक यादव वोटर हैं जिनकी संख्या करीब 3.5 लाख है, जबकि 1.5 लाख ठाकुर और एक लाख से अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं. यादवों के वोट खींचने के लिए भी बीजेपी अपर्णा यादव को मैदान में उतार सकती है और दूसरी वजह यह है कि यादव परिवार के साथ स्थानीय लोगों के संवेदनाएं भी जुड़ी हुई हैं. मुलायम सिंह के निधन के बाद लोग उनके परिवार के सदस्य को अपना प्रतिनिधि बना सकते हैं. हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सपा की तरफ से किसे मैदान में उतारा जाता है. वैसे तेज प्रताप सिंह यादव को लेकर चर्चा गर्म है. ऐसे में अगर यादव परिवार के किसी सदस्य को उतारा गया तो यादवों का वोट बंटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.


कभी खाता नहीं खोल पाई है बीजेपी


यूपी की इस अहम लोकसभा सीट पर 16 बार चुनाव और दो बार उपचुनाव हो चुके हैं. जिसमें अकेले आठ बार सपा के उम्मीदवार विजयी रहे हैं जबकि पांच बार कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, बीएलडी, जनता पार्टी (सेक्यूलर), जनता दल औऱ जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. इसमें अहम बात यह है कि यूपी की बड़ी पार्टी रही बीएसपी और राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी यहां खाता नहीं खोल पाई है. इस बार बीजेपी मैनपुरी से अपना चुनावी रिकॉर्ड बदलना चाहेगी.


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