Kanpur पीलीभीत की आदमखोर बाघिन को कानपुर के चिड़ियाघर में मिला अपना भाई
वन विभाग की टीम ने पीलीभीत से नरभक्षी बाघिन को पकड़कर कानपुर के चिड़ियाघर भेज दिया है. यही नहीं संयोग ये रहा है कि कुछ अरसे पहले पीलीभीत से एक बाघ को पकड़कर यहां लाया गया था. डाक्टरों का दावा है कि ये दोनों भाई बहन हैं
कानपुर. (प्रभात अवस्थी). पीलीभीत में आदमखोर बाघिन के बारे में आप ने सुना होगा. इस बाधिन ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया. अब इसे कानपुर के प्राणी उद्यान की टीम रेस्क्यू कर चिड़ियाघर ले आयी है. प्राणी उद्यान की टीम उसे उसके परिवार से दूर चिड़ियाघर तो ले आयी लेकिन इसे इस्तिफाक ही कहा जाएगा कि जो बाघिन अपने परिवार से दूर हुई है, उसे चिड़ियाघर में तीन महीने पहले बिछड़ा भाई वापस मिल गया है.
बीते दिनों पीलीभीत टाइगर सेंचुरी में एक बाघिन आदमखोर हो गयी थी. इंसानों को अपना शिकार बनाने लगी थी. जिसके बाद कानपुर प्राणी उद्यान की टीम ने बीते मंगलवार को उसे पकड़ कर कानपुर के चिड़ियाघर ले आई, लेकिन जब चिड़ियाघर में उस बाघिन को लाया गया तो पता चला कि तीन महीने पहले भी एक बाघ इसी तरह आदमखोर हो गया था और उसे भी यहीं लाया गया था, ये बाग इस बाघिन का भाई है. फिलहाल ये दोनों एक ही जगह आकर फिर एक दूसरे के पड़ोसी बन गए हैं.
फाइल फोटो4 अप्रैल को पीलीभीत से एक आदमखोर बाघ को पकड़ कर यहां लाया गया था, जिसने कई लोगों को मारा था. वन विभाग की टीम ने उसे पकड़कर कानपुर चिड़ियाघर ले आई थी. कानपुर के चिड़ियाघर के प्रशासन ने इसका नाम 'मल्लू' रखा है और जब मंगलवार को पीलीभीत से ही एक आदमखोर बाघिन को यहां लाया गया तो इसका नाम 'मालती' रखा गया है. इन दोनों खूंखार जानवरों को आस पास के पिंजड़े में रखा गया है.
चिड़ियाघर के डॉक्टरों की टीम ने इन दोनों मल्लू और मालती को लेकर कई दिलचस्प बातें बताई हैं. डॉक्टर नासिर ने बताया कि चार महीने पहले जिस बाघ मल्लू को लाया गया था, वो मंगलवार को आई बाघिन मालती का भाई है. डॉक्टर ने बताया कि इन दोनों की उम्र लगभग बराबर है और इनके शरीर पर जो स्ट्रिप है वो भी एक जैसे ही हैं और यही नहीं दोनों की आदत भी काफी मिलती जुलती है, जिससे लगता है कि दोनों भाई-बहन हैं.
नासिर बताते है कि पीलीभीत टाइगर सेंचुरी में भी जो सीसीटीवी लगे है उसमें भी जो रिकॉर्ड मिले है उनको ट्रैप किया गया है तो ये लोग एक साथ घूमते देखे गए है। जिससे साफ है कि ये दोनों भाई बहन है और 3 महीने पहले ये बिछुड़ गए थे जिनको कानपुर में एक बार फिर से मिलवा दिया है।
डाक्टर बताते हैं कि पीलीभीत सेंचुरी से ये दोनों बाहर आ गए थे. जिसके बाद ये इंसानों को मारने लगे थे. कई बार कोशिश की गई कि इनको वापस से जंगल की तरफ भेजा गया लेकिन ये आदमखोर हो चुके थे, इसलिए फिर बाहर आ गए. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि कुछ दिनों के बाद सुधार होने पर शासन से बात कर कमेटी में ये फैसला लिया जाएगा कि इनको वापस से जंगल में भेज दिया जाये या नहीं.
लेकिन कानपुर चिड़ियाघर ने बिछड़े हुए भाई बहन को मिला दिया है। हालांकि ये दोनों आदमखोर हो चुके है लेकिन एक बार बिछड़ कर ये दोनों कानपुर में पड़ोसी बन गए है।