कानपुर, एबीपी गंगा। कानपुर में सरेआम युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या की वारदात को साथ बाइक में बैठे उसके दो साथियों ने अंजाम दिया। चलती बाइक में उन्होंने युवक के सिर में गोली मार दी और घटना स्थल से वह भाग निकले। मौके पर पहुंची पुलिस काफी देर तक सीमा विवाद में उलझी रही जिसके गोली लगने से तड़प रहे युवक की मौके पर ही मौत हो गयी। परिजनों का आरोप है कि दारोगा की शह पर युवक की हत्या की गयी है।
कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र के सतबरी रोड में तीन लोग एक बाइक पर सवार हो कर जा रहे थे। तभी पीछे बैठे एक युवक ने गाड़ी चला रहे युवक के सिर पर तमंचा सटा कर गोली मार दी। जिससे बाइक चला रहा युवक घायल हो कर जमीन पर गिर गया। जबकि उसे गोली मारने वाले साथी युवक भाग निकले। क्षेत्र में लगे सीसीटीवी फुटेज में युवक भागते हुए नजर आए। वहीं मौके पर पहुंची पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही। बिधनू और चकेरी थाने के बीच सीमा विवाद के चलते काफी देर तक युवक तड़पता रहा और पुलिस ने उसे अस्पताल नही भेजा। जिसके चलते मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। मृतक की शिनाख्त चकेरी थाना क्षेत्र के जुगइया में रहने वाले 22 वर्षीय करण के रुप में हुई। करण के पिता सीओडी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। करण का पिछले दिनों क्षेत्र के सौरभ यादव और उसके साथियों से झगड़ा हुआ था। आरोप है कि पुलिस ने मामले में करण को असलहा लगाकर गलत तरीके से जेल भेज दिया था। इसी बात को लेकर विवाद बढ़ गया था। मृतक के पिता तत्कालीन थानाध्यक्ष बिधनू अनुराग सिंह पर हत्या की साजिश का आरोप लगा रहे हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि क्षेत्रीय दबंग यादवों के साथ मिल कर दरोगा अनुराग सिंह ने करण की हत्या करायी है।
सूचना पर मौके पे पहुंची पुलिस ने घायल करण को हाथ नहीं लगाया। काफी समय तक वह औंधे मुंह पड़ा रहा और बाइक उसके ऊपर पड़ी रही। वहीं अधिकारियों के दखल के बाद उसे उठा कर काशी राम अस्पताल भेजा गया। अस्पताल पहुंचने के पहले ही करण दम तोड़ चुका था। फिर भी वहां के चिकित्सकों ने उसे हैलट रैफर कर दिया। जिसके चलते उसके परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। इधर पुलिस के अधिकारी जल्द ही गोली मारने वालों को शिनाख्त कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।
घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को करण को अस्पताल पहुंचाना चाहिए था। लेकिन दो थानों के बीच सीमा विवाद के चलते वह तकरीबन एक घंटे तक पड़ा रहा और किसी ने उसे हाथ नही लगाया। ऐसे में दोषी पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं परिजनों के आरोपों के आधार पर आरोपी दरोगा अनुराग सिंह की भी भूमिका की जांच होनी चाहिए। ऐसा नहीं होता तो पुलिस पर उंगलियां उठेंगी और वर्दी की गरिमा दागदार होगी।