Manish Gupta Death Case: कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में गोरखपुर मंडलीय कारागार में बंद मुख्य आरोपी जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा की न्यायिक हिरासत 14 दिन के लिए और बढ़ा दी गई है. दोनों आरोपियों की जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेशी हुई. उनकी न्यायिक अभिरक्षा 3 नवंबर तक रहेगी. सीजेएम कोर्ट ने एसआईटी कानपुर के सह विवेचक छत्रपाल सिंह के प्रार्थना पत्र पर साक्ष्य संकलन पूरा नहीं होने का हवाला देने पर यह आदेश दिया है. जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा को गोरखपुर की बांसगांव पुलिस ने रामगढ़ताल थाना क्षेत्र से 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. इनके ऊपर एक-एक लाख रुपए का इनाम घोषित रहा है.
मनीष गुप्ता की संदिग्ध हालात में हुई थी मौत
गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के कृष्णा पैलेस होटल में 27 नवंबर को कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. घटना उस समय हुई जब रामगढ़ ताल के थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह, उप निरीक्षक अक्षय मिश्रा, उप निरीक्षक विजय यादव और 3 अन्य आरोपी सिपाही होटल के कमरा नंबर 512 में संदिग्धों के रुकने की सूचना पर रात 12 बजे दाखिल हुए. मनीष की पत्नी का आरोप है कि, वहीं पर हुए विवाद के बाद के बाद पुलिस वालों ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सिर, चेहरे और शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर चोट के निशान मिले.
6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था
इसके बाद एसएसपी डा. विपिन ताडा ने प्रभारी निरीक्षक जगत नारायण सिंह, उप निरीक्षक अक्षय मिश्रा, उप निरीक्षक विजय यादव, उप निरीक्षक राहुल दुबे, कांस्टेबल प्रशांत कुमार, आरक्षी कमलेश यादव को निलंबित कर दिया. 28 सितंबर की देर रात 1:30 बजे के करीब इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. इसमें जगत नारायण सिंह, अक्षय मिश्रा और विजय यादव को नामजद और 3 अज्ञात सिपाहियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने 4 अक्टूबर को सभी आरोपियों के खिलाफ एक-एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया. बांसगांव पुलिस ने 10 अक्टूबर को आरोपी जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा को रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद कैण्ट पुलिस ने चारों आरोपियों को भी एक के बाद एक गिरफ्तार करने के बाद एसआईटी कानपुर को सौंपा. एसआईटी कानपुर ने उन्हें पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
14 दिन की न्यायिक हिरासत
दीवानी न्यायालय परिसर में बचाव पक्ष के अधिवक्ता पीके दुबे ने पेशी के बाद बताया कि 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा अवधि का 13 दिन पूरा होने पर शुक्रवार को उनके क्लाइंट मुख्य आरोपियों जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा की जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीजेएम ज्योत्सना यादव की कोर्ट में पेशी हुई. एसआईटी कानपुर के सह विवेचक छत्रपाल सिंह के प्रार्थना पत्र पर 14 दिन की न्यायिक हिरासत की अवधि को साक्ष्य संकलन के अभाव में बढ़ा दिया है, अब 3 नवंबर तक इनकी न्यायिक अभिरक्षा अवधि को बढ़ा दिया गया है. आगे की कार्रवाई के बारे में कुछ कहना उचित नहीं है. पुलिस उनके खिलाफ क्या सुबूत पेश करती है, इसके बाद वे आगे की जमानत के लिए कार्रवाई करेंगे.
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