AMU में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को किया गया याद, कुलपति बोले- 'मार्गदर्शक बने रहेंगे'
UP News: अलीगढ़ में मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है, जिसमें छात्र-छात्राओं के साथ यूनिवर्सिटी का स्टाफ मौजूद रहा.
Manmohan Singh Death: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में याद किया गया. उसकी वजह है 2003 का वह दीक्षांत समारोह जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जब विश्वविद्यालय में संबोधन दिया तो सभी छात्र गदगद हो गए थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने कहा कि, प्रधानमंत्री के द्वारा उस समय दिया गया बयान आज भी लोगों को नए दिन की याद दिलात है. मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनते ही एएमयू में शोक की लहर दौड़ पड़ी.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रोफेसर नईमा खातून ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उनके निधन को देश के लिए एक अपूरणीय क्षति बताते हुए कुलपति ने उनके योगदान की सराहना की और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की.
कुलपति ने अपने शोक संदेश में कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न केवल भारतीय राजनीति बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया. वह गरिमा और सादगी के प्रतीक थे. उनके द्वारा देश के विकास और सामाजिक सुधारों में दिया गया योगदान सदैव याद रखा जाएगा. मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करती हूं और प्रार्थना करती हूं कि उन्हें इस कठिन समय में शक्ति मिले."
डॉ. मनमोहन सिंह और एएमयू का संबंध
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास में डॉ. मनमोहन सिंह का एक विशेष स्थान है. उन्होंने 27 मार्च 2003 को एएमयू के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी. उस दौरान उनके संबोधन ने छात्रों और शिक्षकों को गहराई से प्रेरित किया. एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने जानकारी देते हुए कहा कि डॉ.मनोमहन सिंह के विचार और उनके आदर्श आज भी विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं. उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों को मेहनत, ईमानदारी, और उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयासरत रहने की सलाह दी थी.
डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय राजनीति में एक आदर्श और सम्मानित नेता के रूप में जाना जाता है. उनकी सादगी, बुद्धिमत्ता, और निष्ठा ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई. 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की. उनके प्रयासों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनका योगदान केवल आर्थिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था.
उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत की. मनमोहन सिंह ने हमेशा छात्रों और युवा पीढ़ी को विशेष महत्व दिया. उन्होंने कहा था, "युवाओं की ऊर्जा और संकल्प ही एक देश के भविष्य का आधार है." उन्होंने छात्रों से अपील की थी कि वे अपनी शिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित न रखें, बल्कि समाज और देश के विकास में योगदान देने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें.
"मनमोहन सिंह ने छात्रों को किया था प्रोत्साहित"
एएमयू के दीक्षांत समारोह के दौरान, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज को बेहतर बनाने और सामाजिक असमानताओं को दूर करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है. उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे नए विचारों और नवाचारों के साथ आगे बढ़ें,डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है. उन्होंने हमेशा विकास, समानता, और समावेशिता के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी. उनके प्रयासों ने न केवल भारत की आंतरिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया. उनकी विनम्रता और नेतृत्व की शैली ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान दिलाया. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश सेवा के लिए समर्पित कर दी. उनके कार्य और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.
एएमयू में विशेष आयोजन
डॉ. मनमोहन सिंह की स्मृति में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक विशेष सभा का आयोजन किया जाएगा. इस सभा में उनके योगदान और विचारों पर चर्चा की जाएगी. विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया है और उनके आदर्शों पर चलने का प्रण किया है.
कुलपति ने अंत में कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह जैसे महान व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं. उनका जीवन और उनकी सेवाएं हम सभी के लिए प्रेरणा हैं. उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा, लेकिन उनके विचार और उनके आदर्श हमेशा हमारे मार्गदर्शक बने रहेंगे."
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