Manoj Tiwari On Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा हिन्दू धार्मिक स्थलों को लेकर दिए गए बयान पर बवाल बढ़ता जा रहा है. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मौर्य के इस बयान पर पलटवार किया और कहा कि उनके समझने, बोलने की क्षमता खत्म हो गई है. जब वो एनडीए के साथ थे तो लोग उन्हें पूछते थे लेकिन अब उनके ही समाज के लोग उन्हें गालियां दे रहे हैं. ऐसे इंसान से किसी अच्छी बात की उम्मीद भी नहीं की जा सकती. 


बीजेपी सांसद मनोज तिवारी हिन्दू धार्मिक स्थलों को मठों से जोड़ने पर कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ा भारी राजनीतिक करंट लग गया है जिसको राजनीतिक करंट लग जाता है, उसका होशो-हवास सब गायब हो जाता है. उसको शब्द बोलने और समझने की बुद्धि क्षमता खत्म हो जाती है. एनडीए में जब गए तो उनकी बड़ी पूछ थी, एक बार अचानक बुद्धि खराब हो गई वह उससे भी छूट कर चले गए. आज वो जहां पर खड़े हैं वहां पर उन्हीं की कम्युनिटी से उन्हें यूपी में गालियां मिल रही हैं. उनकी कम्युनिटी ने खुद स्वामी प्रसाद मौर्य को दूध में पड़े मक्खी की तरह उठा कर फेंक दिया है. ऐसे आदमी से किसी अच्छी लाइन या विचार की अपेक्षा करना शायद यह हमारी मूर्खता होगी. 


मायावती ने भी उठाए सवाल


बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को राजनीति से भरा बताया और इसे चुनाव से पहले सपा की घिनौनी राजनीति करार दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान से न तो मुस्लिम और न ही बौद्ध समाज के लोग उनकी बातों में आएंगे. इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने सवाल उठाए कि जब वो लम्बे समय तक बीजेपी सरकार में मंत्री रहे तब उन्होंने इस बारे में पार्टी व सरकार पर ऐसा दबाव क्यों नहीं बनाया. अब चुनाव के समय ऐसा धार्मिक विवाद पैदा करना उनकी व सपा की घिनौनी राजनीति नहीं तो क्या है? 


जानें- मौर्य ने क्या कहा था?


स्वामी प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर सर्वे हो रहा है तो सभी हिन्दू मंदिरों का होना चाहिए क्योंकि कई हिन्दू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बने हैं. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि "8वीं शताब्दी तक बदरीनाथ धाम भी बौध मठ था, आदि शंकराचार्य ने उसे हिन्दू मंदिर बनाया था. जिसके बाद उन पर चौतरफा हमले हो रहे हैं. मौर्य ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी के लोग साजिश के तहत हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की कोशिश करेंगे तो ये परंपरा भारी पड़ेगी. अगर वो हर मस्जिद में मंदिर देखेंगें तो लोग हर मंदिर में मठों को देखना शुरू कर देंगे. 


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