लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में पंचायत चुनाव हो सकते हैं. ऐसे में इन चुनावों को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि, चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन से मौजूदा प्रधान काफी परेशान हैं. यूपी चुनाव आयोग की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद कई प्रधान इस बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.


निर्वाचन आयोग की तरफ से वोटर लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया गया है. अधिसूचना के मुताबिक 1 अक्टूबर से प्रदेश में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू होगा. जिसमें बीएलओ घर-घर पहुंचकर सर्वे करेंगे और इस वोटर लिस्ट का फाइनल प्रकाशन 29 दिसंबर 2020 को किया जाएगा.


मौजूदा प्रधानों की परेशानी की वजह
दरअसल, चुनाव आयोग के नए नियमों की वजह से प्रदेश के कई प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. सूत्रों के अनुसार चुनावी खर्च जमा न करने के कारण उन्हें डिबार किया जा सकता है. जिन प्रधानों, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों ने बीते चुनाव के खर्च का ब्योरा नहीं दिया है वे डिबार हो सकते हैं. इस नियम के अंदर हारे और जीते प्रत्याशी दोनो ही आएंगे.


फॉर्म भरते समय देना होगा ब्योरा
नई गाइडलाइन में प्रत्याशियों को फॉर्म भरते समय इस विवरण को भी भरना होगा. कहा जा रहा है कि 90 फीसदी प्रधानों ने चुनावी खर्चे का ब्योरा चुनाव आयोग को नहीं दिया था. ऐसे में प्रधानों के चुनाव लड़ने पर खतरा बना हुआ है. ऐसी स्तिथि में वे परिवार के किसी अन्य सदस्य को चुनावी मैदान में उतारने की कोशिश में हैं.


आंकड़ों पर एक नजर
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस समय 58758 ग्राम पंचायतें हैं. 821 क्षेत्र पंचायत हैं और 75 जिला पंचायतें हैं. जिनमें यह चुनाव होने हैं. पहली बार राज्य निर्वाचन आयोग ने यह व्यवस्था की है कि पंचायतों में भी लोग ऑनलाइन अप्लाई करके वोटर बन सकते हैं. ऑनलाइन आवेदन 1 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच किया जा सकता है.


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