बागपत: दो दिन पहले जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए लुहारी के हवलदार पिंकू कुमार का पार्थिव शव आज गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ उनके दर्शन के लिए सड़कों पर उमड़ पड़ी. माहौल गमगीन हो गया. पार्थिव शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो परिवार के लोगों में कोहराम मच गया. लोगों ने उनके अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी. उसके बाद गमगीन माहौल में उनकी शवयात्रा निकाली गई, जिसमें 'भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक पिंकू तेरा नाम रहेगा' के नारे लगे. यमुना किनारे गार्ड आफ ऑनर और सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
2001 में हुए थे भर्ती
बागपत के लुहारी गांव के 38 वर्षीय पिंकू कुमार वर्ष 2001 में मेरठ से सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने 20 साल तक देश की सेवा की. वर्तमान में वो कई साल से जम्मू कश्मीर में हवलदार पद और 6 जाट बटालियन में तैनात थे. 27 मार्च की रात लगभग सवा आठ बजे वो शोपियां में एक ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे. इसी दौरान आतंकवादियों की गोली से वो शहीद हो गई. देर रात ही उनकी शहादत की जानकारी घर आई तो कोहराम मच गया.
दिया गया गार्ड आफ ऑनर
उधर, आज सुबह शहीद के पार्थिव शव को सेना के वाहनों में गांव लाया गया तो उनके अंतिम दर्शन पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ गई. लोगों ने उनके घर पर अंतिम दर्शन किए, उसके बाद उनकी शवयात्रा गमगीन माहौल में गांव की गलियों से होती हुई यमुना किनारे पहुंची तो हजारों लोगों ने 'भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा, पिंकू तेरा नाम रहेगा' जैसे नारे लगाए. लगभग चार किमी लंबी शवयात्रा में सांसद डाक्टर सत्यपाल सिंह, विधायक केपी मलिक, डीएम राजकमल यादव, एसपी अभिषेक सिंह समेत दूसरे अधिकारी भी मौजूद रहे. शवयात्रा पर पुष्प वर्षा की गई. शव यात्रा यमुना किनारे पहुंची और गार्ड आफ ऑनर और सैनिक सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शव का अंतिम संस्कार किया गया.
परिजनों को दी गई आर्थिक सहायता
बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव ने बताया कि शहीद पिंकू कुमार के परिवार को मुख्यमंत्री जी की तरफ से 50 लाख रुपये की सहायता धनराशि की घोषणा की गई है, जिसमें 35 लाख रुपये उनकी धर्मपत्नी के लिए 15 लाख उनके माता-पिता के लिए दिए गए हैं. उनके परिवार में जो लोग है उनमें से कोई एक व्यक्ति निर्णय लेगा. ग्राम में आने वाली एक सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखा जाएगा. जो भी प्रसाशनिक मदद हो सकती है वो की जाएगी. हम सभी लोग उनकी शहादत पर नमन करते हैं.
ऐसे आई थी गर्व कर देने वाली शहदात की खबर
पिंकू की पत्नी कविता तीनों बच्चों के साथ अपने मायके में थीं. 27 मार्च की रात लगभग 11 बजे बड़ा भाई मनोज भी परिवार के साथ घर पर सो हुआ था. इसी दौरान अचानक एक अनजान नंबर की काल मनोज के मोबाइल पर आती है. कई बार कॉल आने के बाद मनोज रिसीव नहीं करता तो उसी नंबर से कॉल पिंकू की पत्नी कविता के मोबाइल पर की जाती है. दो तीन बार कॉल के बाद कविता कॉल को रिसीव कर लेती हैं. कॉलर की ओर से बताया जाता है कि अपने परिवार के बड़ों से बात कराओ. उसके बाद कॉलर ये तो बताता है कि वो जम्मू कश्मीर से बोल रहा है और पिंकू के बारे में जानकारी देना चाहता है, लेकिन बताता कुछ नहीं है. उसके बाद कविता मनोज के फोन पर कॉल रिसीव करने की बात कहती है तो मनोज उस काल को रिसीव कर लेता है. कालर जानकारी देता है कि पिंकू आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं.
एक बेटा किसान और दूसरा जवान
लुहारी गांव के रहने वाले जबर सिंह पेशे से किसान हैं. उनके बड़े बेटे का नाम मनोज और छोटे का नाम पिंकू कुमार है. दोनों बेटे शादीशुदा है. जबर सिंह अपनी पत्नी कमलेश, बेटे मनोज, पुत्रवधू और दो पौत्रों के साथ गांव में रहते हैं. मनोज पिता के साथ 20 बीघा खेती में हाथ बंटाते हैं जबकि पिंकू सेना में जवान है. उसकी पत्नी कविता अपने तीन बच्चों के साथ मेरठ में सेना के क्वार्टर में रहती हैं. पिंकू की 10 वर्षीय बड़ी बेटी शैली कक्षा चार और आठ साल की छोटी बेटी अंजलि कक्षा तीन की छात्रा है जबकि सबसे छोटा बेटा अर्णव लगभग नौ माह का है. लगभग 38 वर्षीय पिंकू की शादी वर्ष 2005 में सौरम गोयला, मुजफ्फरनगर कविता के साथ हुई थी.
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