लंबे इंतजार के बाद अब मस्जिद ए अयोध्या (Masjid e Ayodhya) का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है. इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट (Indo Islamic Cultural Trust) की तरफ से मस्जिद के मानचित्र को पास करने में आ रहा सबसे बड़ा रोड़ा अब दूर होने वाला है. अगले सप्ताह अयोध्या विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक (Ayodhya Development Authority Board Meeting) होने वाली है. बैठक में मस्जिद को दी गई भूमि का लैंड यूज चेंज करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा. इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट के सदस्य अरशद अफजाल ने बताया कि सारे पेपर जमा किए जा चुके हैं और दिसंबर 2022 तक मस्जिद के मानचित्र को स्वीकृति मिलने की उम्मीद है.


जानें कब से बनने लगेगी मस्जिद ए अयोध्या?


मानचित्र स्वीकृत हो जाने के बाद 26 जनवरी 2023 से मस्जिद ए अयोध्या का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शासन ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ भूमि धन्नीपुर गांव में आवंटित की थी. भूमि आवंटन के बाद मई 2021 में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने मस्जिद के मानचित्र की स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया था. हालांकि एनओसी के अभाव में अब तक मानचित्र को मंजूरी नहीं मिल सकी है. जुलाई 2022 में फाउंडेशन के चेयरमैन जफर फारूकी, सचिव अतहर हुसैन, स्थानीय ट्रस्टी अरशद अफजाल के साथ विकास प्राधिकरण ने बैठक और मंत्रणा की थी. इसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अग्निशमन, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला प्रशासन और नगर निगम को एनओसी दिए जाने के लिए पत्र भी भेजा था.


दो कारणों से मानचित्र नहीं हो रहा था पास


मस्जिद का मानचित्र अब तक पास न होने के दो प्रमुख कारणों में सबसे बड़ा जमीन का लैंड यूज चेंज होना था. मस्जिद के लिए दी गई जमीन कृषि प्रयोज्य की भूमि थी. इसलिए मस्जिद निर्माण के पहले लैंड यूज चेंज होना जरूरी है. दूसरा कारण अग्निशमन विभाग की आपत्ति थी. अग्निशमन विभाग को मस्जिद के लिए केवल 6 मीटर चौड़े रास्ता पर आपत्ति थी. हालांकि बाद में अग्निशमन विभाग ने इस शर्त पर एनओसी दे दी की भविष्य में सड़क को 12 मीटर चौड़ा कर दिया जाएगा. अन्य विभाग से भी एनओसी मिल चुकी है. लैंड यूज चेंज करने में सबसे बड़े रोड़े की प्रक्रिया भी दिसंबर तक दूर हो जाएगी. पूरी दुनिया में अयोध्या गंगा जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है.


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मस्जिद ए अयोध्या के लिए मुस्लिमों के साथ हिंदू भी योगदान दे रहे हैं. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्य अरशद अफजाल ने बताया कि लखनऊ, अयोध्या समेत कई जगहों से मस्जिद निर्माण के लिए सहयोग मिला है. कई हिंदुओं ने भी योगदान दिया है. योगदान देनेवालों में प्रोफेसर और बुद्धिजीवी वर्ग शामिल हैं. यही खूबसूरती है गंगा जमुनी तहजीब की और आपसी भाईचारे की. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आए अंतिम फैसले के अनुसार यूपी सरकार ने 5 एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए दी थी. भूमि पर 2,000 नमाजियों के लिए सभागार, 300 बेड का चैरिटेबल हॉस्पिटल, 1000 की क्षमता वाला शाकाहारी सामुदायिक भोजनालय और मौलवी अहमद उल्ला शाह के नाम से एक रिसर्च सेंटर का निर्माण होना है. चारों तरफ छायादार वृक्ष भी लगाए जाएंगे.