अष्टमी पर महागौरी स्वरूप में हुआ देवी मां का भव्य श्रृंगार, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
नवरात्र की अष्टमी पर प्रयागराज में मंदिरों के बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया है। शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़े देखने को मिल रही है। यहां भक्तों का तांता लगा हुआ है।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर रविवार को संगम नगरी प्रयागराज के देवी मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में महागौरी स्वरुप में देवी मां का भव्य श्रृंगार किया गया है। अष्टमी पर देवी मां के दर्शन और पूजन के लिए मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है।
शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर के साथ ही कल्याणी देवी, ललिता देवी व दूसरे देवी मंदिरों में सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही श्रद्धालुओं की लम्बी लाइन लगी हुई है। इन मंदिरों में लोग देवी मां के दर्शन-पूजन कर उनसे अपनी कामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद ले रहे हैं। अष्टमी पर देवी मंदिरों में कन्याओं की पूजा भी की जा रही है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महागौरी स्वरुप में देवी मां अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। अष्टमी पर देवी मां की पूजा करने वाली युवतियों को उनकी पसंद का वर मिलता है जबकि सुहागिनों को संतान की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि जो लोग किन्ही कारणों से नवरात्र के सभी नौ दिनों तक व्रत या पूजन-अर्चन नहीं कर पाते, उन्हें आज के दिन पूजा करने से सभी नौ दिनों का पुण्य फल प्राप्त होता है।
नवरात्र की अष्टमी पर प्रयागराज के शक्तिपीठों व देवी मंदिरों को खूबसूरती से सजाया गया है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्रृंगार व आरती के बाद से ही देवी मंदिरों के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं। शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर में तो भक्तों की इतनी भीड़ जमा है, कि वहां तिल रखने की भी जगह नहीं है।
अलोप शकरी शक्तिपीठ में कोई मूर्ति नहीं है और वहां मूर्ति के बजाय एक पालने की पूजा की जाती है। धर्मग्रंथों के मुताबिक यहां सती के दाहिने हाथ की उंगली गिरकर अलोप यानी अदृश्य हो गई थी, इसी वजह से यहां देवी के प्रतीक स्वरुप पालने की पूजा की जाती है। यहां आने वाली महिला श्रद्धालु देवी गीत गा रही हैं। देवी मां को नारियल-चुनरी व सिंदूर चढ़ा रही हैं और उनके नाम के दीपक जला रही हैं। इस मौके पर मंदिरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं।