आगरा बस अपहरण मामले का सरगना गिरफ्तार, रासुका लगाया जाएगा
आगरा में बस हाईजैक करने वाला पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि प्रदीप गुप्ता पर रासुका लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पुलिस टीम गुप्ता के अन्य साथियों की तलाश कर रही है.
आगरा/फिरोजाबाद, एजेंसी. उत्तर प्रदेश में 34 यात्रियों को ले जा रही बस के अपहरण मामले के कथित सरगना प्रदीप गुप्ता को पुलिस ने बृहस्पतिवार को फिरोजाबाद में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया.
इस दौरान विशेष हथियार एवं रणनीति (स्वाट) टीम का एक सिपाही घायल हो गया, जिसका एसएन अस्पताल में इलाज चल रहा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने बताया कि पुलिस 'सनसनीखेज और भयावह कृत्य' के लिये आरोप पत्र में गुप्ता पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाएगी.
उन्होंने कहा कि तड़के करीब पांच बजे फतेहाबाद इलाके में एक गांव के निकट आरोपी की, पुलिस की आगरा, फतेहाबाद इकाई तथा विशेष अभियान समूह की टीमों के साथ मुठभेड़ हुई, जिसमें आरोपी गुप्ता के दाहिने पैर में चोट लग गई.
कुमार ने कहा, 'आरोपी प्रदीप गुप्ता और उसका साथी यतेन्द्र यादव मोटरसाइकिल पर जा रहे थे. इस दौरान पुलिस को देख उन्होंने उन पर गोली चला दी और भागने की कोशिश करने लगे. जवाबी गोलीबारी में गुप्ता घायल हो गया जबकि यादव खेतों से होता हुआ भाग गया.'
अन्य आरोपियों के जल्द किया जाएगा गिरफ्तार
उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले में अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है. उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, गुप्ता और मध्य प्रदेश के ग्वालियर के निवासी कल्पना ट्रैवल्स कंपनी के मालिक अशोक अरोड़ा पर 67 लाख रुपये बकाया है जिसके चलते मंगलवार रात आगरा से बस का अपहरण करने की योजना बनाकर उसे अंजाम दिया गया. इस वारदात में करीब 12 लोग शामिल थे. प्रदीप गुप्ता अवैध तरीके से कई बसों का संचालन करता था.
सड़क परिवहन कार्यालय में एजेंट था
अधिकारियों ने कहा कि बस 12 घंटे बाद, बुधवार की दोपहर इटावा के धाबा से बरामद हुई. उन्होंने कहा कि इसमें सवार सभी 34 यात्री सुरक्षित थे और अन्य वाहनों में सवार होकर अपने-अपने गंतव्यों को जा रहे थे.
पुलिस के अनुसार, जयपुर का मूल निवासी और आगरा में रह रहा गुप्ता बस अपहरण मामले का सरगना है. वह इटावा में सड़क परिवहन कार्यालय में एजेंट और बिचौलिये के तौर पर काम करता है. गुप्ता और मामले में शामिल अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिये पुलिस की पांच टीमें बनाई गई थीं.
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