आगरा: कोख के सौदागर गैंग के मास्टरमाइंड विष्णुकांत ने पुलिस की पूछताछ में कई राज उगले हैं. वह नेपाल के अलावा अफ्रीकी देश केन्या और रवांडा में ऑन डिमांड आईवीएफ सेंटर पर जाता था. विदेश में एक केस के 20 हजार रुपये तक मिलते थे, जबकि भारत में पांच से सात हजार रुपये मिलते थे. हालांकि वह बच्चों के बेचने की बात से इनकार कर रहा है.


विगत 19 जून को पुलिस ने फतेहाबाद क्षेत्र में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर दो गाड़ियों में सवार पांच लोगों को पकड़ा था. उनके पास से तीन नवजात बच्चियां मिली थीं. इन बच्चियों को नेपाल बेचने के लिए ले जाया जा रहा था.


पुलिस ने पांच लोगों को जेल भेजा था. इसमें फरीदाबाद की नीलम भी थी. उसे रिमांड पर लेने के बाद दिल्ली का आनंद राहुल सारस्वत पकड़ा गया. उसने गैंग के मास्टरमाइंड दिल्ली के एंब्रियोलॉजिस्ट विष्णुकांत का नाम बताया था. नेपाल की अस्मिता को उसकी पत्नी बताया था. विष्णुकांत कर्नाटक भाग गया था. पुलिस टीम ने मंगलवार को उसे पकड़ लिया. पुलिस बुधवार शाम को उसे आगरा लेकर पहुंची.


क्षेत्राधिकारी विकास जायसवाल ने आरोपी विष्णुकांत से पूछताछ की. आरोपी ने बताया कि वर्ष 2005 में दिल्ली आ गया था. उसने गौरी अस्पताल में 15 हजार रुपये महीने पर एंब्रियोलॉजिस्ट की नौकरी की. उसका हाथ काफी अच्छा था. चिकित्सक उसे पसंद करते थे. इससे उसकी पहचान हो गई. वह डॉक्टर के नाम से जाना जाने लगा. दो साल बाद वह दिल्ली के बड़े-बड़े अस्पताल में सेवा देने लगा. उसे एक केस के तकरीबन पांच से सात हजार रुपये मिलते. एक महीने में 20 केस तक कर लेता. एक लाख से सवा लाख तक की कमाई हो जाती थी.


पुलिस की पूछताछ में विष्णुकांत ने बताया कि वर्ष 2014 में नेपाल के वीनस अस्पताल में एंब्रियो कराने गया था. तब अस्मिता से मुलाकात हुई थी. उससे उसकी दोस्ती हो गई. अस्मिता वहां पर ब्लड सेंपल लेने का काम करती थी. हालांकि उसने उससे किसी तरह का संबंध होने से मना किया. आरोपी का कहना है कि डेढ़ साल से अस्मिता से बात नहीं हुई है.


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